चित्र-विचित्र ये शौक तरह-तरह के

May 2000

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हर व्यक्ति का कोई न कोई शौक अवश्य होता है। कुछ लोगों के लिए यह समय बिताने का साधन हो सकता है, तो कुछ धनाढ्य रईसों के लिए शाही विलास को माध्यम। कुछ लोग कुछ अद्भुत कर गुजरने की तमन्ना के लिए अपने अनोखे शौक पाल लेते हैं, तो कुछ सहज मनोरंजन के लिए अपने विचित्र शौक में मग्न रहते हैं। यदा-कदा ये शौक सनक की हद को भी पर कर जाते हैं।

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ऐसे ही शौकीन थे। उन्हें भाँति-भाँति के सिगार और हैट इकट्ठा करने का शौक था। वे जिस किसी भी देश में जाते वहाँ से तरह तरह के सिगार और हैट अपने संग्रह के लिए ले आते । उनका यह शौक इस सनक की हद तक था कि एक बार तो वे शिष्टाचार की सारी सीमाएं ही पार कर गए। अपने यहाँ आए एक मेहमान के हैट पर उनका मन आ गया, और उन्होंने इसे जबरन उतरवाकर अपने संग्रह के लिए रख लिया। मेहमान को यह व्यवहार बहुत बुरा लगा और वह वहाँ से चला गया। लेकिन चर्चिल तो अपने संग्रह के लिए नए हैट पर इतना प्रसन्न थे उन्होंने मेहमान की अप्रसन्नता की तनिक भी परवाह नहीं की।

लंदन के एक हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर महोदय को रेलवे टिकटों के संग्रह का शौक था। अपने इस शौक में उन्होंने पचास हजार से भी अधिक टिकट इकट्ठा किए। किंतु आश्चर्य इस बात का रहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी रेलयात्रा नहीं की, क्योंकि उन्हें रेल में बैठने से डर लगता था। जोजडन नामक एक व्यक्ति को अजीबोगरीब चीजों को एकत्र करने का शौक था। वह भयानक चेहरों, खालों और डरावने चित्रों से अपने कमरे को सजाया करता था और अपने दरवाजे पर बैठकर जोर-जोर से चीखा करता था। उसकी इस हरकत से पड़ोसी परेशान थे। जर्मनी के मोल्क रिश्टर को ब्लेड एकत्र करने का शौक है। अब तक वे दस हजार से भी अधिक ब्लेड इकट्ठा कर चुके हैं।

अपने देश में भी इस तरह के शौकीन लोगों की कमी नहीं है। अपने ही यहाँ के एक पुलिस इंस्पेक्टर के पास तरह-तरह की मूँछों का संग्रह है। संग्रह में सबसे लंबी मूँछ दो फीट की है, जो चंबल के किसी डाकू की बताई जाती है। बड़ौदा के महाराज खंडेराव गायकवाड को कबूतरों का विवाह करवाने का विचित्र शौक था। कबूतरों की शादी वे बड़ी धूमधाम से करवाते थे। इस क्रम में विवाह की सारी रस्म-क्रियाएँ पूरी की जातीं। सभी राज्य-निवासियों को आमंत्रित किया जाता और वे भी अपनी सामर्थ्य अनुसार उपहार भेंट करते थे। अपने चौदह वर्ष के शासनकाल में महाराज ने लगभग 92 लाख रुपए खर्च किए।

जूनागढ़ के नवाब महावत खाँ को कुत्ते पालने का शौक था। इन कुत्तों के लिए उन्होंने कुत्ता महल का निर्माण किया था। इस महल में ढाई हजार कुत्ते रहते थे। इनके रहने की व्यवस्था शाही ढंग से की गई थी। सभी कुत्ते अलग-अलग कमरों में रहते थे। प्रत्येक कमरे में पानी के नल, बिजली व पंखे का प्रबंध था। हर कुत्ते की सेवा में दो नौकर भी हाजिर रहते थे। नवाब ने एक बार अपनी शाही कुतिया रोशनआरा का विवाह शाही खरच से करवाया। इस अवसर पर ढाई लाख अतिथियों को आमंत्रित किया गया था। इसमें कुल सात लाख रुपए खरच हुए थे।

इंग्लैंड के गार्नर नामक एक बच्चे को फौजियों की वरदी के बटन एकत्र करने का शौक था। फौजी लोग भी अपनी वरदियों के बटन उसे सहर्ष दे देते थे। गार्नर का यह संग्रह काफी बड़ा हो गया था और बाद में उससे अमेरिका के एक बटन संग्रह के शौकीन करोड़पति ने उसे पचास हजार पाउंड में खरीद लिया। इसी लंदन के एक व्यक्ति का सिगरेट के खाली पैकेट इकट्ठा करने का शौक था। उसे विभिन्न देशों और ब्राँडों के चार हजार से अधिक पैकेट इकट्ठे कर लिए थे। इनमें कुछ तो बहुत पुराने और दुर्लभ थे।

एंतरियों के एक पुलिस अफसर को तितलियाँ इकट्ठा करने का शौक था। उसने भिन्न-भिन्न प्रकार की 6000 रंग-बिरंगी तितलियाँ इकट्ठा कर रखीं थीं। जर्मनी के एक रिक्शाचालक मि. जानक्यूटा को दरवाजे के कुँडे इकट्ठे करने का शौक है। इसके अतिरिक्त वे दिन में कई बार नहाने का भी शौक रखते हैं। इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ डाक टिकट संग्रह की शौकीन थीं। इनके पास 49 लाख पाउंड से भी अधिक मूल्य के डाक टिकट एकत्र हो गए थे।

स्वीडन के हेलिन नामक एक व्यक्ति को तरह-तरह के कपड़े इकट्ठा करने का विचित्र शौक है। इस शौक को अंजाम देने के लिए हेलिन साहब कभी-कभी तो सारी सीमाएं तोड़ देते हैं। एक दिन एक स्थानीय होटल में नाश्ते के दौरान टी. वी. समाचार में कपड़ों की नीलामी की खबर सुनी तो वे आपे से बाहर हो गये ।नाश्ता टेबल छोड़कर बाहर खड़ी टैक्सी में जबरन घुसे और उसे सीधा नीलामघर चलने को कहा। वहाँ पहुँचकर उन्होंने 17000 डालर में एक लबादा खरीदकर ही चैन की साँस ली। यह लबादा सुपरमैन की शृंखला वाली फिल्म में अभिनेता किटोकारीब ने पहना था। एक क्रम में उनका अगला दौर रूस का लगने वाला है। उन्हें पूरा विश्वास है कि वे प्रसिद्ध रूसी अंतरिक्षयात्रियों द्वारा पहने गए स्पेससूटों की खरीद पाने में सफल होंगे।

जर्मनी के एक स्थान में प्राचीनकाल से लेकर आज तक की रोटियों के नमूनों का संग्रहालय है। इसी प्रकार का एक संग्रहालय मिश्र की राजधानी काहिरा में भी है। जहाँ पर 4000 वर्ष पूर्व की गेहूँ की रोटी सुरक्षित हैं। मिश्र के ही एक नाई को अपने धंधे से इतनी रुचि है कि उसने इससे संबंधित पुराने-से पुराने लेख, चित्र, औजार आदि का एक संग्रहालय तैयार किया है। उसके इस काम के लिए मिश्र के नाई समुदाय ने उसे सम्मानित भी किया है।

विख्यात अंगरेजी विद्वान डा. जान्सन खंभे गिनने के बहुत शौकीन थे। वह जब कभी घूमने जाते तो हाथ की छड़ी सड़क के किनारे खड़े खंभों में मारते जाते और गिनती करते रहते। यदि इस बीच गिनना भूल जाते तो वापस लौटकर फिर से गिनना शुरू करते । वे इस कार्य में इतना खो जाते कि अन्य सभी कार्यों यहाँ तक कि अपने प्रिय लेखनकार्य को भी भूल जाते। जान्सन की ही भाँति फ्राँस के प्रसिद्ध उपन्यासकार एमिल जोला को भी सड़क पर चलते हुए खंभों को गिनने का विचित्र शौक था।

सेवाइल के राजा अबादेल मोतादिल गुलदस्तों के बड़े शौकीन थे। इनके पास गुलदस्तों का विशाल संग्रहालय था। लेकिन ये गुलदस्ते साधारण फूलदान नहीं थे, बल्कि मौत के घाट उतार दिए गए दुश्मनों की खोपड़ियों के थे, जिन्हें साफ करके गुलदस्तों की शक्ल दी जाती थी। राजा इन गुलदस्तों में फूल सजाकर बड़े गर्व से अपने मेहमानों को दिखाता था। ऐसे ही एक मुगल बादशाह को कल्ला मीनार बनाने का शौक था। यह कल्ला मीनार खोपड़ियों से बनाई जाती थीं। मुगलों की ओर से बैरम खाँ ने जब सिकंदर शाह की सेनाओं को परास्त किया, तो उसके सम्मान में बादशाह ने दस हजार दुश्मनों की खोपड़ियों की कल्ला मीनार बनवाई थी।

पटियाला के राजा भूपेंद्र सिंह खाने-पीने के बहुत शौकीन थे। उनके बावर्चीघर में 142 खानसामे थे, जो हमेशा नए-नए व्यंजन बनाने में व्यस्त रहते थे। इसमें सोलह रसोइये तो केवल ‘एगकारी’ बनाने के लिए नियुक्त थे। उनकी रसोई में व्यंजन इतने प्रकार के होते थे कि प्रत्येक व्यंजन को चखने भर से महाराज का पेट भर जाया करता था। ऐसी ही रोम के सम्राट मेक्सीमरन भी खाने-पीने के बहुत शौकीन थे, लेकिन वे खूब पेटू भी थे। एक दिन में वे अठारह किलो माँस और करीब एक सौ बीस गैलन शराब पी जाया करते थे।

ब्रिटेन के मि. राबर्ट को नहाने का अद्भुत शौक है । ये स्नान तो दिन में एक बार ही करते हैं, लेकिन लगातार नौ घंटे तक स्पेन की इतिहास-प्रसिद्ध सुँदरी मोनिका द वडिल्ले उम्दाकिस्म की शराब से भरे टब में स्नान करने की शौकीन थी फ्राँस की ही मादाम द मेसेप तरह तरह के सुगंधित इत्रों से नहाया करती थी। नेपोलियन की पत्नी जोसेपलाइन को स्ट्राबेरी के फूलों के रस से नहाने का शौक था। रोम के बादशाह नीरो की रानी स्नान के लिए गधी के दूध का प्रयोग करती थी। रानी के इस शौक को पूरा करने के लिए साढ़े चार सौ गधियाँ राजमहल में पाली हुई थीं। ऐसे ही महारानी क्लियोपेट्रा भी दिन में दो बार गधी के दूध से स्नान किया करती थीं।

चीन के बिरिया क्बान लिनमिंग का साँपों के साथ रहने का अद्भुत एवं खतरनाक शौक है। जहाँ सामान्य व्यक्ति साँपों को खतरनाक समझकर उनसे दूर रहते हैं, वहीं लिनमिंग साँपों के बिना रह नहीं सकती। उसने सारा जीवन साँपों के साथ रहने का प्रण लिया है। वह अपनी सहेली जुममाँग के साथ 12 दिन तक आठ सौ अट्ठासी विषैले साँपों के साथ सर्पगृह में रह चुकी हैं।

ब्राजील के लुईस जेजार को भयानक साँप, जहरीले मकड़े और बिच्छू पालने का शौक है। ये जानवर उसे इतने प्रिय हैं कि उसने उन्हें अपने शयनकक्ष में जगह दी हुई है। अपने इन प्रिय मित्रों की संख्या बढ़ाने के लिए वह हर तरह से खतरे उठाने के लिए तैयार हैं। एक दिन मौका पाकर जेजार स्थानीय सर्प म्यूजियम में जा घुसा। जब वह बढ़िया किस्म के साँपों को चुराकर भाग रहा था तो सुरक्षा गार्ड ने उसे पकड़ लिया और पुलिस स्टेशन के इंचार्ज के सामने पेश किया। जब लुईस ने चोरी के माल की थैली को उसके टेबल के ऊपर पलटा तो इंचार्ज के होश उड़ गए। अंततः मामला वहीं रफा-दफा हो गया।

आस्ट्रेलिया की कुमारी सैनी को भी साँप पालने का विशेष शौक है। वह जहरीले साँपों को माला की तरह पहनती है। इतना ही नहीं वह कमर में बेल्ट की बजाय साँप बाँधती है। एक नन्हा सर्प हमेशा ही उनकी जेब में पड़ा रहता है। रात को वह अजगर का तकिया लगाकर सोती है। पोर्ट एलिजाबेथ में जॉन नामक एक व्यक्ति चिड़ियाघर के साँपों की देखभाल करता है। उसे भी साँपों के साथ रहने का अद्भुत शौक है। उसकी कोठरी में एक जहर के लगभग एक से बढ़कर एक खतरनाक साँप हैं। वह 49 घंटे तक उनके साथ रह भी चुका है।

अमेरिका के बील्फ डेविड को तरह-तरह के विचित्र एवं खतरनाक जीव-जंतु पालने का शौक हैं। उसने आठ अजगर, बारह नाग, इसके अलावा अनेक छोटे-बड़े साँपों, अनेक कछुओं व बहुत सारे बंदरों से अपने घर को आबाद कर रखा है। डेविड इन जीव-जंतुओं को सिखाता-पढ़ाता भी है। उसके इन मित्रों में से कुछ फिल्मों में भी काम कर चुके हैं।

अपने ही देश के एक स्थान नगीना के 40 वर्षीय सईद अहमद भी सर्पों के अद्भुत प्रेमी हैं। उन्हें न केवल सांपों को पालने का बल्कि कटवाने का भी अद्भुत शौक है। वे साँपों से अब तक इतना कटवा चुके है कि उनके अनुसार अब वह विषपुरुष बन गए हैं। गत बीस वर्षों में वह हजारों साँप पकड़ चुके हैं, लेकिन वे इन्हें मारते नहीं हैं । वे तो इन्हें पकड़कर हिमालय के तराई क्षेत्रों के वनों में छोड़ आते हैं। ये अपने इस शौक में इतना मशगूल हैं कि उनका अच्छा-खासा कारोबार भी चौपट हो चुका है। सईद का कहना है कि वे स्वयं भी नहीं जानते कि उन्हें साँपों से इतना प्रेम क्यों है।

इस संबंध में इतना कह सकते हैं कि यह संसार विचित्र एवं आश्चर्यजनक शौकीनों से भरा पड़ा है। इनमें से अधिकाँश तो मनुष्य की बुद्धिमत्ता एवं समझदारी पर ही प्रश्नचिह्न लगा देते हैं। मात्र कौतुक, दिखावे, वाहवाही लूटने व विलासिता के लिए चित्र-विचित्र शौक पालने का औचित्य समझ में नहीं आता। अच्छा यही हो कि मनुष्य जीवन की गरिमा को समझकर अपने समय, श्रम एवं प्रतिभा का उपयोग किया जाए। उचित यही है कि स्वयं सार्थक जीवन जिए और दूसरों को सार्थकता की प्रेरणा दें।


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