पवित्र विचारों से ओत -प्रोत व्यक्ति की ईश्वर व प्रकृति के नियम भी सहायता करने लगते हैं।
नारी जगत् की एक पवित्र स्वर्गीय ज्योति है, त्याग उसका स्वभाव, प्रदान उसका धर्म, सहनशीलता उसका व्रत और प्रेम उसका जीवन है।-चतुरसेन शास्त्री