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May 2000

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ध्वंस सरल है। उसे छोटी चिनगारी एवं सड़ी कील भी कर सकती है। गौरव सृजनात्मक कार्यों में हैं। मनुष्य का चिंतन और प्रयास सृजनात्मक प्रयोजनों में ही निरत रहना चाहिए। जीवन की गरिमा इस कसौटी पर आँकी जाती हैं कि उसमें किस स्तर का कितना सृजनात्मक कार्य सफल हुआ। क्रिया-कौशल की जो भी प्रतिभा-प्रखरता है, उसकी प्रशंसा इस बात में है कि उसके द्वारा सत्प्रवृत्ति-संवर्द्धन में सहायता मिल या नहीं।-परमपूज्य गुरुदेव


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