स्वामी राम कृष्ण परमहंस अपने शिष्यों को समझा रहे थे। तुम सब प्रार्थना करते हो ? ऐसा लगता नहीं। यदि तुम प्रार्थना करते हो तो ठीक-ठीक बतलाओ कि क्या प्रार्थना के समय जगत और जगत की हलचलें विस्मृत हो जाती हैं ? क्या तुम्हारे मन के द्वंद्व शाँत हो जाते हैं ? बैर और घृणा के भाव तिरोहित हो जाते हैं ?
यदि ऐसा नहीं होता तो तुम प्रार्थना नहीं करते। तुम्हारा प्रार्थना में खड़ा होना या बैठना ठीक वैसा ही है जैसे ग्वाले के डंडे से घेरी हुई भेड़ें बाड़े में खड़ी हो जाती हैं।