आदर्श हमें प्रेरणा देते हैं (kahani)

December 1993

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

कोई आवश्यक नहीं कि नई संतान हर गृहस्थ के यहाँ आना ही चाहिए। जब परिवार संस्था का उद्देश्य समझ में आ जाए, तो कहीं असमंजस नहीं रहता। सारा विश्व अपना परिवार प्रतीत होता है।

जान एड्रिन के घर विकलाँग पक्षाघात से पीड़ित एक बच्ची थी। उसी को दंपत्ति ने पाला-पोसा और शिक्षित किया। दिमागी पक्षाघात से पीड़ित वही बच्ची अपने परिश्रम तथा माँ-बाप की जी तोड़ मेहनत और लगन के परिणाम स्वरूप एम॰ ए॰ तक पढ़ सकी।

एक बार गृहस्थाश्रम में सहचर बनने पर दोनों साथियों का धर्म है कि परस्पर एक दूसरे के साथ निर्वाह करें। आज जो अग्नि की वेदी पर शपथ ली गयी है, उसे कल नकार दिया जाय, यह तो धर्म की अवहेलना है। इन दिनों ऐसे प्रसंग जब ढेरों मिलते हैं, कुछ आदर्श हमें प्रेरणा देते हैं।

पुत्र का विवाह परंपरा के अनुसार कुछ कम वय में कर दिया गया। कन्या भी छोटी ही थी माता की देख−रेख में ही लड़की का चुनाव किया गया था। किंतु कुछ दिन पश्चात् माता को अनुभव हुआ कि मैंने कन्या का चुनाव ठीक नहीं किया है। अतः उसने विचार किया कि दूसरी उत्तम गुणों वाली कन्या खोजकर दूसरा विवाह कर देना चाहिए पुत्र का।

पर तब तक पुत्र कुछ समझदार हो चला था। माता ने अपना मंतव्य प्रकट किया। पुत्र ने कहा-”दूसरा विवाह नहीं हो सकेगा माँ।” माँ नाराज हुई कहने लगीं “यह मेरे निर्णय का विषय है, तुम्हारा नहीं। तुम अभी बच्चे हो। इसमें मेरे मान-अपमान का प्रश्न है। मैं कन्या पक्ष वालों को आश्वस्ति दे चुकीं हूँ। क्या तुम्हें इसलिये पाल-पोस कर बड़ा किया था, कि तुम्हारे कारण यों लज्जित होना पड़े।

पुत्र ने समझाया-”आपका मान मुझे प्राणों से भी प्यारा है। उस पर अपनी जीवन आहुति दे सकता हूँ। दूसरा विवाह करने से पत्नी का जीवन नष्ट हो जायेगा।”

माता फिर भी न मानी। तब पुत्र ने कहा-”अच्छा एक बात बात बताइये। यदि मैं ही अयोग्य होता, तो क्या आप उस कन्या को दूसरा विवाह करने की अनुमति देतीं ?”

इस प्रश्न का माँ के पास कोई उत्तर न था। उन्होंने बेटे के ब्याह की बात बंद कर दी। वह साहसी बालक थे दादा भाई नौरोजी ! काँग्रेस के प्राणदाता, भारत के सच्चे समाज सेवक।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118