लोगों को हाथ की उँगलियों के समान रहना चाहिए। ये सारी बराबर नहीं हैं लेकिन जब कोई काम करती है तो सारी इकट्ठी हो जाती हैं। ये हैं तो पाँच लेकिन काम हजारों कर देती हैं। --विनोबा भावे
उस जाति का भविष्य कितना अंधकार में है जो विभिन्न संप्रदायों में बँट कर वैमनस्य में पड़ गई है और हर संप्रदाय अपने को एक जाति समझने लगा है।
खलील जिब्रान