परिवार ही सम्पति है (kahani)

December 1993

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ईरान के बादशाह ने नगर पर चढ़ाई कर दी । उसे चारों ओर से घेर लिया गया और आज्ञा प्रसारित करा दी गई कि “भोर होते-होते सभी स्त्रियाँ अपने कीमती आभूषण लेकर अमुक स्थान पर पहुँच जाय किंतु पुरुष एक भी नहीं निकलना चाहिए”

नगर में हल-चल मच गई प्रातः काल होते ही सभी स्त्रियाँ छोटे बड़े गट्ठर लिए उस स्थान पर एकत्रित हुई। बादशाह को संदेह हुआ कि गठरियों में आभूषण के अतिरिक्त कुछ और है। गट्ठर खुलवाये गये तो उनमें आदमी निकले। बादशाह ने कड़क कर पूछा क्या यही आभूषण हैं। उनमें एक वृद्धा बोली-”जी महाराज ! हमारे लिए पति और पुत्रों से बढ़कर और कोई संपत्ति नहीं है।”

बादशाह ने विचार किया जहाँ की महिलाएँ इतनी कर्तव्य परायण और पुरुष के प्रति इतनी समर्पित हों, वहाँ अधिकार नहीं जमाया जा सकता, वह चुपचाप सेना लेकर लौट गया।


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