अपना चेहरा देखकर याद आ जाएगा (Kahani)

May 1992

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कबाड़ी की दुकान में खरीददारी कर रहे एक सज्जन को दिशासूचक यंत्र कम्पास-कुतुबनुमा पसंद आ गया। उत्तर दक्षिण दिशा दिखाने वाला यह यंत्र बच्चों के लिए खरीदने का उनने निश्चय कर लिया। पर उन्हें एक बात समझ में नहीं आयी कि इस सुई के पीछे शीशा क्यों लगा है? कम्पास देखकर कोई साज-शृंगार थोड़े ही करेगा। कुछ गुत्थी समझ में नहीं आ रही थी। दुकानदार से पूछ बैठे कि “भाई। तुम्हीं बताओ यह शीशा किस लिए है? बच्चे पूछ बैठें तो हम क्या जवाब देंगे तो दुकानदार ने कहा “भाई साहब! सीधी सी बात है। आप कभी भटक जाएँ तो कम्पास से दिशा देख लें। यह जानना हो कि कौन भटक गया है, शीशा देख लेना। अपना चेहरा देखकर याद आ जाएगा।”

छोटी सी बात पर सबके लिए एक महत्वपूर्ण प्रेरक संदेश। हमेशा ध्यान रखा जाय कि हम कहीं भटक तो नहीं गए। हमारी दिशा सही है कि नहीं?


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