चीन के धर्मोपदेशक हुई वेंग दीवार की तरफ मुँह करके प्रवचन करते थें। श्रोताओं की तरफ उनकी पीठ रहती थीं।
पूँछने पर वे कहते थे— ”आप लोग दीवार की तरह ही सफाचट हैं। उसके भीतर प्रवेश करने के लिए खिड़की तक नहीं है। ऐसी दशा में यह आशा बंधती नहीं कि वे, जो सुनेंगे उसे समझने और अपनाने को भी तैयार होंगे।"
हुई का कथन था कि इतने पर भी, मैं निराश नहीं हूँ। दीवार को सुनाता हूँ। ताकि मेरा अभ्यास बढ़े और यदि दीवार के कहीं कान हो तो वे मेरी बात सुनें।