भगवान कृष्ण ने किसी बात पर प्रसन्न होकर कुंती से वरदान माँगने को कहा।
कुंती बोली— "मुझे कठिनाइयों से जूझने और समस्याएँ सुलझाने का अवसर सदा मिलता रहे।" कृष्ण ने आश्चर्य से पूछा— "ऐसा तो कोई नहीं माँगता।"
कुंती का उत्तर था— "तभी तो लोग साहसी, दूरदर्शी और प्रतिभावान नहीं बन पाते। कष्टों का अपना स्वाद और प्रतिफल है।"