सद्वाक्य

July 1987

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हसेंगे तो सफल समझे जाएँगे और लोगों का सम्मान पाएँगे। रोएँगे तो साथ देने वाले विरले होंगे। सामान्यतया रोने वालो से लोग बचते हैं कि कहीं अपने दुर्भाग्य की चपेट में हमें भी न लपेट लें।


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