गुलाब के फूल ऊपर की टहनी पर खिल रहे थे और सड़ा गोबर उसकी जड़ में सिर झुकाये पड़ा था।
गुलाब ने अपने सौभाग्य से सड़े गोबर के दुर्भाग्य की तुलना करते हुए गर्वोक्ति की और व्यंग की हँसी हस दी। माली उधर से निकला, तो उसने यह सब देखा। उससे चुप न रहा गया। गुलाब के कान से मुँह सटाकर बोला- ‘तुम्हें इस स्थिति में पहुँचाने में इन पिछड़े समझे जाने वाले कितनों का योगदान रहा है, तनिक इसे भी समझने का प्रयत्न करो।’