हजरत उमर से मिलने उनके घर आया (kahani)

September 1985

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एक बार एक आदमी हजरत उमर से मिलने उनके घर आया। उसने सना कि उमर की पत्नी काफी बड़बड़ा रही है, पर हजरत उमर कुछ भी जबाब न देकर मौन हैं। उस आदमी ने पूछा, ‘वह इतने बोली जा रही है और आप हैं कि बिलकुल चुप्पी साधे हुए हैं।

हजरत उमर गम्भीरता से बोले, “भाई वह मेरे गन्दे कपड़े धोती है, खाना पकाती है, मेरी सेवा करती है और सबसे बढ़कर वह मुझे पाप से बचाती है, तो क्या अब उसका इतना भी हक नहीं कि कुछ बोले?”


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