स्वप्न सर्वथा निरर्थक ही नहीं होते

September 1985

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घटना 31 अक्टूबर 1898 की है। इन्फील्ड, बेमोन्ट कस्बे की वर्था ह्मूज नामक लड़की घर से निकली और शाम होने पर भी घर वापस नहीं लौटी। चिन्तित माता पिता 150 लोगों के साथ वर्था को ढूंढ़ते हुए शेकर ब्रिज पर पहुँचे जहाँ उसे अन्तिम क्षणों में कुछ लोगों ने देखा था। गोताखोरों की मदद से मस्कोवा झील में तीन दिन तक लड़की को खोजा गया परन्तु सभी प्रयत्न असफल रहे।

चौथे दिन 4 मील दूर गाँव से चलकर श्रीमती टाइटस नामक एक महिला वर्था के घर पहुँची और दुबारा वर्था को झील में ढूंढ़ने के लिए उसके माता-पिता से अनुरोध किया। श्रीमती टाइटस ने बताया कि कल रात्रि स्वप्न में उसने उस स्थान को देखा है जहाँ वर्था डूबी हुई कीचड़ में फँसी पड़ी है। गोताखोर ढूंढ़ते-ढूंढ़ते निराश हो चुके थे। दुबारा डुबकी लगाने से उन्होंने साफ इंकार कर दिया। श्रीमती टाइटस के आत्मविश्वास युक्त दबाव के आगे उन्हें एक बार फिर डुबकी लगाने को विवश होना पड़ा। इस बार टाइटस के निर्देशन में डुबकी लगाकर गोताखोर 18 मीटर गहरे पानी में एक मिनट तक डुबा रहा और जब बाहर आया तो उसके हाथ में वर्था का शव था। उसका शरीर श्रीमती टाइटस के कथानुसार ही कीचड़ में औंधे मुँह धँसा था। उस दृश्य को हजारों लोग झील के किनारे खड़े होकर देख रहे थे। इस बात पर सभी आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे कि चार मील की दूरी पैदल तय करके एक महिला ने स्वप्न में देखे गये दृश्य के आधार पर वर्था को खोजने में किस तरह से सहायता की। स्वप्न विशेषज्ञ एवं अनुसंधान कर्ता प्रख्यात मनोवैज्ञानिक विलियम जेम्स ने कहा था कि सुनिश्चित रूप में यह घटना सुपरनार्मल फैकल्टी आफ सीअरशिप की है। सीअरशिप को सामान्यतया परोक्ष दर्शन को अतीन्द्रिय दृष्टि कहते हैं जिसका सम्बन्ध अधिकतर स्वप्नों से होता है।

सन् 1827 में घटित रेड वार्थ हत्याकाण्ड का मामला स्वप्न दूरानुभूति के माध्यम से ही सुलझ सका था। घटना इंग्लैण्ड के साफोक गाँव की मारिया मार्टिन नामक एक लड़की की है जो विलियम कार्डर नाम के एक युवा किसान के साथ घर छोड़कर भाग गई थी। कुछ दिनों दोनों साथ रहे। कार्डर का सम्बन्ध एक अन्य महिला के साथ हो जाने के कारण उसने मारिया की हत्या करके उसे पशुशाला के आँगन में दफना दिया और मारिया के माता-पिता को सूचना भेज दिया कि हम दोनों प्रसन्न हैं और विवाह कर लिया है। एक वर्ष तक इस हत्याकाण्ड का सुराग किसी को नहीं मिला।

एक रात्रि में मारिया की माँ ने एक स्वप्न में देखा कि उसकी बेटी मारिया को कार्डर ने हत्या करके बार्नबखेर की फर्श के नीचे दफना दिया है। स्वप्न का दृश्य इतना सुस्पष्ट जीवन्त, अप्रत्याशित और भयप्रद था। जिसे देखकर मारिया के माता-पिता लड़की को खोजने कार्डर के घर जा पहुँचे। स्वप्न में देखे दृश्य के अनुसार फर्श तोड़ने पर मारिया का सड़ा गला शव निकला। कार्डर को हत्या के अपराध में मृत्यु दण्ड मिला।

‘डिवाइन कामेडी’ के रचयिता प्रख्यात महाकवि, दान्ते की मृत्यु हो गई थी। उनके महाकाव्य का “पैराडाइसो” नामक अन्तिम भाग अधूरा ही छूट गया था। दान्ते के मित्रों अनुयायियों और परिवार वालों ने पाण्डुलिपि ढूंढ़ने का बहुतेरा प्रयत्न किया परन्तु कुछ भी सूत्र हाथ नहीं लगा। अतः यह निश्चित कर लिया गया कि इस अध्याय को लिखने से पूर्व ही दान्ते चल बसे थे। दान्ते के दोनों पुत्र जैकेपो और पीरो आधुनिक शैली के कवि थे साथियों ने दोनों भाइयों की डिवाइन कामेडी के अन्तिम भाग को पूरा करने के लिए प्रेरित किया।

रात्रि के एक स्वप्न में जैकेपो ने देखा कि पिता द्वारा रचित डिवाइन कामेडी के अनुपलब्ध अन्तिम भाव के 13 सर्ग पितृगृह के एक आलमारी में बन्द हैं। स्वप्न भंग होते ही जैकेपो उठ खड़ा हुआ और अर्ध रात्रि को अपने पिता के एक पुराने मित्र पीर गिआर्डिनो के घर जा पहुँचा। स्वप्न का हवाला देते हुए जैकेपो ने बताया कि पिताजी ने स्वप्न में मेरा हाथ पकड़ कर उस मकान को तथा उस स्थान को दिखाया है जहाँ वे मृत्यु के पूर्व तक रहा करते थे और वहीं पर डिवाइन कामेडी को पूरा किया था। उन्होंने एक दीवाल को छूकर बताया कि जिस वस्तु को तुम तलाश रहे हो वह यहाँ छिपी है। गिआर्डिनो जैकेपो के साथ उषाकाल में ही उस मकान पर जा पहुँचे जहाँ दान्ते की मृत्यु हुई थी। मकान मालिक को जगाकर अन्दर प्रविष्ट हुए और स्वप्न निर्देशित स्थान पर पहुँचकर-दीवाल पर लगी चटाई को हटाया। उसके पीछे खिड़की पर आर्द्रता के कारण फफूंद लगे कुछ पेपर पड़े थे। उन्हें साफ किया गया तो वे डिवाइन कामेडी के अन्तिम 13 सर्ग निकले। लड़के का स्वप्न सच्चा निकला एवं दान्ते की रचना पूर्ण हो गयी।

प्रसिमा का राजनेता विस्मार्क तीन भयंकर युद्ध लड़ने के बाद जर्मनी के बिखरे प्रान्तों को एकत्रीकरण करने और उसका चांसलर बनने में सफल हुआ था। विजय श्री वरण करने का श्रेय एक स्वप्न में देखे गये दृश्य को देते हुए विस्मार्क ने अपनी पुस्तक “थाट्स एण्ड मेमोरीज” में पूरा वर्णन लिखा है।

विस्मार्क ने स्वप्न में देखा कि वह घोड़े पर बैठा आल्पस पहाड़ी के एक ऐसे संकरे रास्ते में फँस गया है जहाँ एक ओर खड़ी चट्टानें और दूसरी ओर चिकने शिला खण्ड हैं। इस परिस्थिति में घोड़े ने आगे बढ़ने से इन्कार कर दिया है और वह न तो घोड़े पर से उतर सकता है और न ही घोड़ा मुड़ सकता है। विस्मार्क पर्वत की ओर चाबुक के सहारे खड़ा होकर ईश्वर से सहायता के लिए प्रार्थना करता है। तत्क्षण ही चाबुक इतना ऊँचा हो गया जिसके सहारे विस्मार्क को पहाड़ी के पार के रास्ते, दृश्य जंगल और बोहेमिया प्रान्त दिखाई देने लगा। उसने इसी रास्ते से जाकर बोहेमिया पर अधिकार कर लिया है और उनके सैनिक विजयोल्लास के हाथों में बैनर लिए दिखाई दे रहे हैं।

स्वप्न के तीन वर्ष बाद विस्मार्क का युद्ध आस्ट्रिया के विरुद्ध हुआ और उसके सैनिकों ने स्वप्न में निर्देशित रास्ते से बोहेमिया में प्रवेश किया और विजयी रहे।

सुप्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक एवं लेखक विलियम ओलिवर स्टीवेन्सन ने अपनी पुस्तक “द मिस्ट्री आफ ड्रीम्स” में स्वप्न दूरानुभूतियों का वर्णन किया है। एक स्वप्न में स्टीवेन्सन के लड़के ने देखा कि एक लम्बा गोरा व्यक्ति कार दुर्घटना में घायल हो गया है और साथ बैठी महिला को हल्की-सी चोट आई है। यह घटना सन् 1938 की है।

स्टीवेन्सन परिवार फ्लोरिडा से 1000 मील दूर नानटुकेट आइलैण्ड स्थित मकान में ठहरे हुए गर्मियों के दिन व्यतीत कर रहा था। फ्लोरिडा से उनका संपर्क टूट चुका था। समाचार पत्रों के माध्यम से थोड़ी बहुत जानकारी मिल जाती थी। एक दिन के समाचार पत्र के प्रमुख पृष्ठ पर स्पेन के राज्य सिंहासन का उत्तराधिकारी युवराज काउन्ट आफ कोवाडोंगा का फ्लोरिडा में एक कार दुर्घटना में मारे जाने का सचित्र विवरण छपा था। दुर्घटना के दृश्य, साथ में बैठी मियामी की एक महिला, युवराज के घायल होने, रक्त की कमी से मृत्यु हो जाने आदि सभी दृश्य स्वप्न में देखे दृश्यों के समान थे।

वस्तुतः निद्राकाल में अचेतन मस्तिष्क समष्टि में संव्याप्त अदृश्य विचार प्रवाह के अधिक समीप रहता है। स्वप्नावस्था में मस्तिष्क केन्यूरान्स अत्यन्त सक्रिय पाये गाये हैं, विशेष कर आर. ई. एम. निद्रा में दायें “पैराइटल कार्टेक्स” के। वैज्ञानिकों का मत है कि दूरानुभूति, पूर्वाभास ही नहीं अदृश्य से संपर्क का अविज्ञात केन्द्र इसी स्थान पर होना चाहिए। साधना द्वारा भी इस प्रस्तुत पड़े केन्द्र को जगाया एवं वे समस्त अनुभूतियां होती रह सहती हैं जो स्वप्नों के माध्यम से कुछ तो अनायास ही हो गयीं।


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