प्रेत ऐसे भी होते हैं।

September 1985

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इंग्लैण्ड का विण्डसोर महल प्रेतों का निवास गृह होने के रूप में प्रख्यात है। ऐलिजाबेथ प्रथम को पुस्तकें पढ़ने का बहुत शौक था। उनका प्रेत अक्सर इस महल के पुस्तकालय में देखा जाता है। चार्ल्स प्रथम को तोपखाने से बहुत लगाव था उनकी आत्मा तोपखाने में दृष्टि-गोचर होती है। हेनरी अष्टम को गठिया की शिकायत थी। वे महल के आँगन पर लड़खड़ाते हुए घूमते हैं। तीसरे जार्ज को अन्धेरा पसन्द था। वे अब भी महल की जलती बत्तियाँ बुझा देते हैं। विण्डसोर के पार्क में शिकारी हर्ने अभी भी अपने शिकारी कुत्ते दौड़ता हुआ देखा जाता है।

आस्ट्रेलिया के सिडनी नगर में एक निःसन्तान मकान मालिक की किसी दुर्घटना में यकायक मृत्यु हो गई। उसकी एकमात्र सम्पदा सरकार की हो गई। सरकार ने उसे फ्रैंक नामक किरायेदार को फर्नीचर समेत उठा दिया। पर उसने आये दिन रात्रि के समय दैत्याकार प्रेत की घुस पैठ से दुःखी होकर खाली कर दिया। इसके बाद एक प्रोफेसर ने उसे लिया। वे प्रेतवाद को अन्धविश्वास भर मानते थे। पर उनने भी जगती आँखों से जो दृश्य देखे, उनका ब्यौरा जहाँ-तहाँ बताये बिना मकान खाली कर गये। इसके बाद उसे माइकेल ब्रुम ने लिया पर जब उनका सारा परिवार आतंकित हो उठा तो वे भी चले गये। इसके बाद जो नया किरायेदार आया उसने चौकीदारों और पुलिस मैनों की व्यवस्था की पर आँगन और बरामदे में पत्थर बरसने का पता न लगा सकने पर उनने भी हिम्मत खो दी और छोड़कर चले गये। एक महीने की उस उठक-पठक के बाद वह मकान अभी तक खाली पड़ा है।

बेथेसडा कम्युनिटी डेवलपमेंट के इनचार्ज प्रो. निक्सन अपने काम में बड़े मुस्तैद थे। दिन भर इनक्वारियाँ करते और रात को दफ्तर का काम निपटा तो उस समय वे अकेले होते। इस बेला में उनकी कुर्सियाँ हरकत करतीं एक जगह से दूसरी जगह खिसकती देखी गईं। और उन पर बैठने वाली शक्लें प्रकट एवं गायब होती देखी गईं। अगले दिनों उनने कुछ साथियों को काम करने के लिए रोक लिया। उनने भी यह विचित्र लीला देखी। एक दिन तो एक कुर्सी छत में जाकर चिपक गई।

पुलिस द्वारा जाँच पड़ताल कराई गई पर घटनाओं का कारण विदित न होने पर उनने भी रात का काम दफ्तर में करने की बजाय घर पर करना आरम्भ कर दिया।

इंग्लैंड की वर्तमान राजमाता बचपन में स्काटलैण्ड के ‘ग्लेसिल कैसल’ में पली थीं। उस किले में भूतों की घुस-पैठ थी। खासतौर से उनके ‘ब्लू रूम’ में। कर्मचारियों और दर्शकों ने उस क्षेत्र में भयभीत करने वाली घटनाएँ देखीं और उस क्षेत्र में जाने से कतराने लगे। राजमाता ने अपने अनुभव सुनाने की अपेक्षा मुस्करा भर देने से काम चलाया पर उन घटनाओं का खण्डन उनने भी नहीं किया। लार्ड स्टेक मेरु पर तो ऐसा भय सवार हुआ कि उनने वहाँ जन्म दिन मनाना ही बन्द कर दिया।

विलासपुर के रेलवे यार्ड के समीप अंग्रेजी शासन काल में दो यूरोपियन पति-पत्नि रहते थे। जोसेफ और मेरिया। उनकी उसी बंगले में मृत्यु हो गई। झूला झूलने का उन्हें बहुत शौक था। उनके न रहने के बाद भी झूला इस प्रकार हिलता था। मानो उस पर दो व्यक्ति बैठे झोंके ले रहे हैं। उस क्षेत्र के लोग भयभीत रहने लगे तो झूला उतार दिया गया।


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