भगवान निराकार सर्वव्यापी एवं जन्म-मरण से रहित है। विकृत परिस्थितियों को सन्तुलित करने के लिए उनकी प्रेरणा से तूफानी आन्दोलन उभरते रहते हैं। ये आन्दोलन ही अवतार कहलाते हैं। धर्मचक्र प्रवर्त्तन, महाभारत संयोजन, स्वतन्त्रता संग्राम की तरह प्रज्ञा अभियान भी एक ऐसा ही आन्दोलन है।
महामानव, सन्त सुधारक ओर शहीद का जीवन जीते हैं। वे अपने चरित्र और प्रयासों से असंख्यों को ऊँचा उठाते, आगे बढ़ाते हैं। उन्हें देवात्मा या ऋषि भी कहते हैं। ये ऋषि अवतार सत्ता के ही अंश होते हैं।