समुद्र टिटहरी के अण्डे बहा ले गया। अनुरोध करने पर भी वापस करने को तैयार न हुआ। टिटहरी चोंच में बालू भर-भर कर समुद्र में डालने लगी। अगस्त ऋषि यह दृश्य देख रहे थे। कारण पूछने पर उसने ऋषि को सारी बात बता दी। और कहा अण्डा मिलने या जीवन जाने तक मेरा प्रयास चलता रहेगा।
ऐसे संकल्पवान की सहायता करने का अगस्त का मन हुआ। उनने तीन चुल्लू में समुद्र पी लिया। घबराकर उसने अण्डे वापस कर दिये। तब उसे त्राण मिला। संकल्पवान, साहसी और कर्मठ आदर्शवादियों को सहयोगियों की कमी नहीं रहती।