न्यूटन की विद्वता ही नहीं नम्रता और सज्जनता भी प्रख्यात थी। एकबार चौकी पर जलती हुई मोमबत्ती को उनके पालतू कुत्ते ने चौंक कर गिरा दिया। शोध संबंधी बहुत ही महत्वपूर्ण कागज उससे जलकर नष्ट हो गये। लौटने पर न्यूटन ने गहरी साँस छोड़ी और कहा-‘‘मूर्ख! तू कैसे जान पायेगा कि तनिक सी गड़बड़ी करके कितना बड़ा नुकसान कर दिया। पर ईश्वर की कृपा से वह कार्य फिर कर दिखाऊँगा।” यही हुआ भी। वे अपने प्रशंसकों से इतना ही कहते थे- ‘‘समुद्र के किनारे बैठकर सीप घोंघे चुनने वाले बालकों की तरह में ज्ञान के अगाध सागर में से कुछ कंकड़ पत्थर ही चुन पाया।”