उल्लुओं की जमात (kahani)

July 1985

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एक घने झुरमुट में उल्लुओं की जमात रहती थी। एक दिन कहीं से हंस उड़ता हुआ वहाँ आ पहुँचा और ठहर गया।

हँस समझाता रहा- ‘‘भाइयो! बाहर निकलो सूर्य के प्रकाश से संसार कितना सुन्दर लगता है। चलो, उसे तो देखो।” उल्लू सूर्य के अस्तित्व से सर्वथा इन्कार करते रहे और उसकी सलाह को हँसी में उड़ाकर मूर्ख कहने लगे।

बुलबुल ने हँस को समझाया “वंश परम्परा के अनुसार ही मान्यता बनाकर जो लोग चलते हैं, उन्हें औचित्य समझाना बहुत कठिन है। आप चुप रहें।”


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