हवलदार साहब (kahani)

July 1985

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

एक पुलिस के हवलदार साहब घर पर सो रहे थे। पत्नी को चोरों की आहट मिली उसने उन्हें जगाया और कहा- लगता है चोर घुसे हैं। हवलदार साहब नींद में बोले- सोने दे, बिना चोरी किए किसी को नहीं पकड़ा जा सकता।

पत्नी बेचारी आहट लेती रही जब चोर सामान बाँधकर चलने लगे तो फिर जगाया कहा- अब तो चोर सामान बाँधकर जा रहे हैं। हवलदार जी ने पूछा कितने बजे हैं। उत्तर मिला 4 बजे हैं। वे बोले- क्यों तंग करती हो। मेरी ड्यूटी तो 8 बजे से है। मुझे सोने दो।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles