सन्त मंसूर एक दिन साथियों समेत किसी पथरीले रास्ते से गुजर रहे थे कि पैर में ठोकर लगी और उँगली टूटने से खून बहने लगा। उन्होंने पट्टी बाँधी और अल्लाह को इस इनायत के लिए धन्यवाद दिया।
साथियों ने पूछा− मुसीबत आने पर इनायत किस बात की? मंसूर ने कहा− ‘‘अल्लाह वन्दे की सिर्फ भलाई ही कहता है। हमारे कर्मफल से कोई बड़ा अनिष्ट होने वाला होगा उसे छोटी चोट के रूप में बदल कर अल्लाह ने इनायत ही तो की है।”
सही चिंतन से मनुष्य मुसीबतों के बीच भी प्रसन्नता के आधार ढूँढ़ सकता है।