जिन परिवर्तनों को हम आज संसार में देख रहे हैं वे अपने आदर्श और अभिप्राय में बौद्धिक, नैतिक और भौतिक है। आध्यात्मिक क्रान्ति अपने समय की प्रतीक्षा कर रही है और इसी बीच अपनी लहरे जहां-तहां उछाल रही है। जब तक यह नहीं आ जाती तब तक अन्य सबका मर्म भी समझ नहीं आ सकता, तब तक वर्तमान स्थिति की सभी व्याख्याएं तथा मनुष्य की भवितव्यता विषयक भविष्य वाणियाँ निरर्थक हैं, क्योंकि इस क्रान्ति की प्रकृति, शक्ति और क्रिया ही हमारी मानवता का आगामी युग चक्र निर्धारित करेगी।
-योगीराज अरविन्द