Quotation

September 1984

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शारीरिक बलिष्ठता ही कुछ नहीं है। विकासवाद की जीवधारियों सम्बन्धी मान्यता को ही लिया जाये तो कथन और भी सत्य प्रतीत होता है। वास्तविक मानवी प्रगति भाव सम्वेदना के प्रगति क्रम पर निर्भर है। भावी प्रगति का केन्द्र बिन्दु भी यहीं रहने वाला है। बुद्धिमता की कसौटी कितनी सही है, यह भी विवादास्पद ही है। यदि इसी पर विकास को समझना हो तो बुद्धिमत्ता की परिभाषा ही बदलनी होगी।


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