चिकित्सा विज्ञानियों में आदिकाल से आयुष्य बढ़ाने हेतु नवीन खोजें करने की प्रतिस्पर्धा रही है। नवीनतम प्रतिपादन पिछले दिनों कुछ वैज्ञानिकों ने साईंस डाइजेस्ट पत्रिका में प्रकाशित किया। उनका मत है कि “आयडियोस्फियर” नाम से एक चतुर्थ आयाम हर व्यक्ति के चहुँ ओर संव्याप्त होता है। यह आयडियोस्फियर, बायोस्फियर की ही अनुकृति है। परोक्ष जगत का द्वार खोलने वाला यह चौथा आयाम ऐसा है जिसके प्रवाहों को अनुकूल बनाकर व्याधियों से बचना एवं दीर्घायुष्य को प्राप्त करना सम्भव है। सम्भव है अगले दिनों योग साधना से इस आयाम में पहुँचने की होड़ मचने लगे एवं “एजींग” (वार्धक्य) पर नियंत्रण में वैज्ञानिक-अध्यात्मवादी सफल हो जायँ।
प्रार्थना प्रातः की कुँजी और संध्या की चटखनी है।
-मैथ्यू हैनरी