हस्तरेखा और शरीर विज्ञान

September 1984

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अब तक ज्योतिषी, सामुद्रिक शास्त्री ही हस्तरेखा देखकर यह बताया करते थे कि भाग्य या भविष्य क्या है। जन्म कुण्डली की तरह हस्तरेखा देखकर भी भूत भविष्य की सम्भावना का कथन किया जाता था। अब शरीर विज्ञानी इस आधार पर स्वास्थ्य की स्थिति और स्वभाव की स्थिति का निष्कर्ष निकालने लगे हैं। रोग परीक्षा के लिए वैद्य नाड़ी देखते रहे और नाखूनों की सफेदी देख रक्ताल्पता का निष्कर्ष निकाला जाता था। सरकारी दस्तावेजों में हाथ के अँगूठे के छाप लेकर व्यक्ति की सही पहचान की जाती है। दो व्यक्तियों के अंगूठे एक जैसे नहीं मिलते। इसलिए हस्ताक्षरों के जाली होने की सम्भावना तो रहती है, पर अंगूठा छाप में यह संदेह नहीं रहता कि वह व्यक्ति कोई दूसरा तो नहीं है।

अब हाथ की बनावट के सम्बन्ध में सोचा जाता है कि वह शारीरिक एवं मानसिक स्थिति का विवरण भी प्रस्तुत करती है, इसलिए हाथ की रेखाएँ और उसकी कोमलता कठोरता देखकर डॉक्टरों ने किसी व्यक्ति को क्या रोग है और उसकी मानसिक स्थिति क्या है इसकी परीक्षा करना भी आरम्भ कर दिया है। कई शरीर शास्त्रियों का मन्तव्य है कि हाथ देखकर किसी का व्यक्तित्व भली प्रकार समझा जा सकता है और तद्नुरूप उसकी चिकित्सा का निर्धारण हो सकता है।

शरीर की अंग रचना में हाथ सबसे अधिक संवेदनशील है। उसके विभिन्न क्षेत्रों की रेखाएँ नीची-ऊंची होती रहती हैं। मोटे तौर पर रेखाओं की बनावट प्रायः समान बनी रहती है, पर बारीकी से देखा जाये तो प्रतीत होगा कि उनमें काफी हेर-फेर होता रहता है। न केवल हथेली की रेखाएँ वरन् अंगुलियों के पोरबे, नाखून, हथेली का पीछे वाले बाल कई तरह से सिकुड़ता-फैलता और ऊँचा-नीचा, उभार गहरा होता रहता है। जिन्हें इसका अनुभव है उन्हें विभिन्न रोगियों की स्वास्थ्य सम्बन्धी भूत, वर्तमान और भविष्य का पर्यवेक्षण करने में कोई कठिनाई नहीं होती।

योरोप और अमेरिका म अब हस्त विज्ञान के सम्बन्ध में कितने ही चिकित्सा विशेषज्ञों की खोजें चल रही हैं। वे ज्योतिषियों, समुद्र शास्त्रियों की तरह मात्र रेखाएँ नहीं देखते वरन् हाथ के हर भाग में होते रहने वाले उतार-चढ़ाव का निरीक्षण करते रहते हैं। उनका कथन है कि पैथालॉजी की दृष्टि से हाथ अकेला ही वह विवेचन प्रस्तुत करता है जितना कि रक्त, मूत्र, मल, थूक, एक्सरे आदि की परीक्षा की जानकारी से प्राप्त होती है। इस आधार पर की गई चिकित्सा अपेक्षाकृत अधिक लाभकारी सिद्ध हुई है। इस विज्ञान में डॉ. गार्डन, ई. हेल, डॉ. हर्डेयन, डॉ. स्मिथ, डॉ. ईवान, डॉ. हिरनेक आदि ने विशेष ख्याति प्राप्त की है। उनको पर्यवेक्षण एवं उपचार अधिक प्रामाणित पाये गये हैं।

न्यूयार्क स्थित स्टेटन हाईलैण्ड अस्पताल कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के पामिस्ट्री शोध विभाग ने कीरो की पामिस्ट्री में एक नयी शृंखला जोड़ी है। कीरो ने हस्त रेखाओं द्वारा ग्रहगणित का ऊहापोह किया था और बताया था कि हाथ की रेखाएँ तथा विशेष स्थानों के उठाव देखकर रेखाओं की लम्बाई तथा सीधापन तिरछापन जानकर किसी का भविष्य जाना जा सकता है कि उसका भूतकाल कैसा रहा है और भविष्य कैसा होने जा रहा है।

उस शोध में एक नयी शृंखला अब यह जुड़ी है कि मनुष्य किसी रोग से पीछा छुड़ा चुका है और किस नये रोग की सम्भावना में प्रवेश कर रहा है। यह जानकारी शारीरिक ही नहीं मानसिक क्षेत्र की भी हो सकती है कि मनः क्षेत्र में कौन व्यक्ति श्रेष्ठता या निकृष्टता की ओर कदम बढ़ा रहा है। यह एक बड़ी बात और बड़ी सम्भावना है जिसकी गहरी खोज होनी चाहिए।


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