यह सितारे गिनने के लिए नहीं (kahani)

November 1984

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एक दिन, दो दिन और लगातार कई दिन तक भी रात-रात भर तारों की गिनती करते देखकर आखिर माँ ने अपने बच्चे से पूछ ही लिया- “बेटे! तुम रात भर आकाश की ओर मुँह किये क्या गिना करते हो?”

“आकाश के सितारे माँ! बहुत प्रयत्न करता हूँ। किन्तु आकाश इतना विराट और नक्षत्र इतने अधिक हैं कि वे गिनने में ही नहीं आते।”

माँ ने थपकी दी और बोली- “बेटा, देर हुई जा रही है। सो जा, यह सितारे गिनने के लिए नहीं हैं वरन् इसलिए बनाये गये हैं, कि लोग उन्हें देखकर वैसा ही चमकीला और झिलमिलाता जीवन जीना सीखें।”


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