बाँटने वालों की मिठास सराही जाती है (kahani)

November 1984

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समुद्र में बहुत पानी था। सो पथिक अधिक लाभ की आशा में उसके तट पर पहुँचा। किन्तु अंजलि होठों तक ले जाते ही देखा- वह तो बहुत खारी है। प्यासा लौट गया।

कुछ दूर एक छोटी नदी थी। पिया तो पाया- मीठा और ठण्डा जल।

बड़े के पास खारी और छोटे के पास मीठा। इस भेद को समझने के लिये उसने बुद्धि दौड़ाई। नियति ने कहा- जो बाँटते हैं, उनकी मिठास सराही जाती है। जो सिमेटते हैं वे बड़े होने पर भी भर्त्सना सहते हैं।


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