बड़ों के बड़े अन्धविश्वास

November 1984

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तुर्की में मुसलमान अमीरों के बड़े-बड़े हरम होते हैं। वे चाहते थे कि औरतें न केवल उनकी वासना पूर्ति किया करें वरन् साथ-साथ प्रेमिका की भूमिका भी निभाया करें। पर ऐसा होता नहीं था। बाल-बच्चों की संख्या वृद्धि, उपेक्षा से स्वास्थ्य की गिरावट और पारस्परिक कलह और अविश्वास के वातावरण में प्रेम नाम की वस्तु दुर्लभ हो जाती थी जबकि अमीर दुहरा फायदा उठाना चाहते थे।

इस कमी की पूर्ति के लिए वे हकीमों और लाल बुझक्कड़ों से तरह-तरह की तरकीबें- जादू मन्त्र पूछा करते थे। इस फेर में राज-घरानों में भी अन्ध विश्वासों का अम्बार लगा रहता था। इस मर्ज की दवा शहद में डुबाकर अंगूर खाने से लेकर गधी के दूध को पीना और उसमें नहाना भी एक नुस्खा था। और भी कई प्रकार की जड़ी-बूटियों की प्रशंसा होती थी, जिसमें हकीम तवीबों की चाँदी रहती थी, पर फायदा किसी को कुछ न होता था। अन्धविश्वास पिछड़े लोगों में जितना था उसकी तुलना में अमीर घरों में कुछ अधिक ही था, कम नहीं।

आदमी बहुत समझदार माना जाता है यहाँ तक कि समझदारों का एक विषय वर्ण भी होता है जो रहस्यमय बातों के कारण बताया करते हैं। साधारण आदमी उनके बताये पर विश्वास कर लेते हैं। विज्ञ होने का दावा करने वालों की बातों में जो दावा किया जाता है उसके बारे में सामान्यजनों की अनुकरण इच्छा होती हो तो इसमें अचम्भे की कोई बात नहीं।

टमाटर योरोप में पैदा हुआ उसे जहरीला फल घोषित किया गया। इस भय से प्रायः सौ वर्ष तक उसकी खेती रुकी रही। आम आदमी उसकी खेती करने से डरते थे कि उसे खाकर हमारे घर के लोग बीमार पड़ने या मरने न लगें। कीमियागरों ने उसको शुद्ध करने की तरकीब निकाली। जैसे भिलावा, गंधक आदि को शुद्ध किया जाता है। उसी तरह टमाटर का भी शोधन किया गया और बताया गया कि शुद्ध टमाटर में रक्तमाँस के से गुण होते हैं। क्योंकि तोड़ने पर उसमें रक्तमाँस जैसा गूदा निकलता है।

आलू जब नया उत्पन्न हुआ तो गुणी लोगों ने इसके बारे में घोषणा की कि यह ताकत का भण्डार है। ताकत की जरूरत योद्धाओं को होती है इसलिए उसकी खेती सरकारी नियंत्रण में होने लगी। और जो जितने महत्व का योद्धा था उसके लिए उसी अनुपात से आलू का कोटा मिलने लगा। उन दिनों एक सेर आलू का भाव सौ रुपया था। सौंदर्यता बढ़ाने और कामुकता भड़काने के लिए गधी का दूध बहुमूल्य माना गया। उन जमाने में गधे वजन ढोने के काम आते थे, पर गधियों का दूध निकाला जाता था और वह राजा रईसों के राजमहलों में ही खपता था।

आलू, टमाटर मामूली शाक तरकारी हैं। इनमें कोई विशेष गुण नहीं है, वह वहम प्रायः एक सौ वर्ष चलने के बाद समाप्त हुआ तब उसकी साधारण किसान खेती करने लगे और कौड़ी के मोल बिकने लगे। टमाटर के जहरीला होने का वहम भी इसी तरह समाप्त हुआ। काम वासना भड़काने और सौंदर्य विकसित करने के लिए गधी के दूध में कोई विशेषता है। यह वहन भी जल्दी ही समाप्त हो गया। लाल बुझक्कड़ों के यह प्रतिपादन वैज्ञानिक खोजबीनों के सामने गलत सिद्ध हुए और एक बड़ा वहम झकमार कर हट गया।

अशिक्षितों और देहातियों के अन्धविश्वास हंसी मजाक में उड़ा दिये जाते हैं और उन्हें तर्क से बाहर कह कर अमान्य ठहरा दिया जाता है पर राजा, रईस,अमीर, हकीम, तबीब जब मिथ्या कल्पनाएं गढ़ते हैं, और उन्हें सर्वसाधारण के गले उतारते हैं तो आश्चर्य होता है। आज कोई साधारण आदमी भी टमाटर, आलू के सम्बन्ध में वैसी मान्यताएं नहीं रखता, जैसी तुर्की में सैंकड़ों वर्षों तक प्रचलित रही और किसानों को इन्हें उगाने से वंचित रहना पड़ा।


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