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November 1984

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मस्तिष्क विलक्षण है, बहुरंगी है। इसके क्रियाकलाप अभी भी रहस्यमय हैं। मस्तिष्कीय स्नायु जंजाल से स्रवित होने वाले अत्यन्त मात्रा के रसायन भावनाओं की पूर्व भूमिका बनाते हैं। शुष्कता, सरलता के रूप में व्यक्ति-व्यक्ति में पाये जानें वाला अन्तर किस कारण है व कैसे प्रसुप्त को जगाकर प्रफुल्लित मस्ती भर जिन्दगी जी सकना संभव है, इसका विश्लेषण आज के व्यवहार विज्ञानियों ने किया है।

ज्ञान का जितना भाग व्यवहार में लाया जा सके वही सार्थक है, अन्यथा वह गधे पर लदे बोझ के समान है।


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