प्रतिकूलताएँ (kahani)

November 1984

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एक छोटी लड़की को सपने में शेर दिखाई देता और वह बेतरह डर जाती । हालत बिगड़ते देखकर उसे एक मनःचिकित्सक के पास ले जाया गया।

सारी बात समझने के बाद मनोविज्ञानी ने लड़की से कहा- वह शेर तो मुझे भी रोज सपने में दिखता है। वह तो बहुत भला है। काटता बिलकुल नहीं। खिलाड़ी प्रकृति का होने के कारण वह साथी ढूंढ़ता है और इसलिए सपने में आता है। अब की बार आये तब तुम उससे दोस्ती जोड़ना फिर देखना कितना भला और हंसोड़ है वह।

लड़की का समाधान हो गया। वह प्रसन्न होकर लौटी। सपना तो अब भी आता पर वह रात में हंसती मुस्कुराने लगती। डर मन में से बिल्कुल चला गया था।

प्रतिकूलताओं को यदि दुश्मन न मानकर दोस्त मान लिया जाय और उनके कारण अपनी प्रतिभा निखारने का लाभ सोचा जाय तो फिर वे डरावनी नहीं हंसाने वाली प्रतीत होंगी।


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