युग-निर्माण अभियान का महान् सत्साहित्य

April 1970

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

विचार क्रान्ति के अत्यन्त सस्ते 200 ट्रैक्ट

जन-जागृति, विचार-क्राँति एवं नव-निर्माण के लिए जनमानस में प्रेरणा, स्फूर्ति, उत्साह एवं साहस भर देने वाले यह ट्रैक्ट अपने भीतर बाहरी शक्ति छिपाये बैठे हैं। लागत से भी कम मूल्य में अत्यन्त सस्ते, सुन्दर, आकर्षक और प्रेरणाप्रद ट्रैक्ट छापे गये हैं, जिन्हें स्वयं पढ़ना और दूसरों को पढ़ाना या सुनाना जनमानस को सुसंस्कृत एवं परिष्कृत बनाने के लिए आवश्यक है। अब तक 200 ट्रैक्ट छप चुके हैं। प्रत्येक का मूल्य 25-25 पैसा है।

(1) विवाह के आदर्श और सिद्धान्त। (2) तीन दिन का सत्यानाशी विवाहोन्माद। (3) विवाह-शादियों के लिये बुद्धि क्यों बेच दी जाय? (4) विवाह- शादियों का असह्य अपव्यय। (5) इस हृदयद्रावक द्रादक स्थिति को कब तक सहा जायेगा? (6) यह कुरीतियाँ मिट रही हैं और मिटेंगी। (7) विवाहों का वातावरण धर्मानुष्ठान जैसा रहे। (8) आदर्श विवाहों की रूप रेखा। (9) आदर्श- विवाहों का प्रचलन कैसे हो? (10) प्रगतिशील जातीय संगठनों की आवश्यकता। (11) हम भाग्यवादी नहीं कर्मवादी बनें। (12) अन्ध विश्वासी नहीं विवेकशील बनिये। (12) अन्धविश्वास से लाभ कुछ नहीं, हानि अपार है। (14) भिक्षा व्यवसाय देश और समाज का कलंक। (15) मन्दिर जन जागरण केन्द्र बनें। (16) उनसे जो पचास के हो चले। (17) साधु की महान् परम्परा और जिम्मेदारी। (18) ब्राह्मण अपना उत्तरदायित्व संभालें। (19) स्वच्छता मनुष्यता का प्रथम गुरु मंत्र। (20) दर्शन तो करें-पर इस तरह। (21) आलस्य छोड़िए, परिश्रमी बनिये। (22) पक्षपात त्यागें औचित्य अपनावें (23) माँसाहार मानवता के विरुद्ध है। (24) तम्बाकू एक भयानक दुर्व्यसन। (25) प्राणियों के प्रति निर्दयता न करें! (26) अपव्यय का ओछापन (27) मृतक-भोज की क्या आवश्यकता? (28) नारी को तिरस्कृत न किया जाय। (29) अशिष्टता न कीजिये! (30) ईमानदारी का परित्याग न करें। (31)खाद्य समस्या और उसका हल। (32) आहार में असंयम न बरतें। (33) सन्तान की संख्या न बढ़ाइये। (34) गन्दगी की घृणित असभ्यता। (35) शाकाहारी व्यंजन। (36) व्यायाम हमारी एक अनिवार्य आवश्यकता। (37) वृक्षारोपण- एक परम पुनीत पुण्य। (38) शाक उगायें, अन्न बचायें। (39) पुस्तकालय-सच्चे देवालय। (40) निरक्षरता का कलंक धो लिया जाय। (41) परिवार को, सुसंस्कृत कैसे बनायें? (42) हम सच्चे अर्थों में आस्तिक बनें। (43) संस्कारों की पुण्य परम्परा। (44) पर्व और त्योहारों से प्रेरणा ग्रहण करें। (45) लोक निर्माण के लिए जन गायन। (46) विवाह-दिवसोत्सव कैसे मनायें (47) जन्म-दिवसोत्सव इस तरह मनायें। (48) गायत्री यज्ञों की विधि व्यवस्था। (49) गायत्री यज्ञों की विधि- व्याख्या। (50) प्रबुद्ध व्यक्ति धर्मतन्त्र संभालें। (51) सत्कार्यों का अभिनन्दन किया जाय। (52) पुँसवन संस्कार विवेचन। (53) नामकरण संस्कार विवेचन। (54) अन्नप्राशन संस्कार विवेचन। (55) चूड़ाकर्म संस्कार विवेचन। (56) विद्यारम्भ संस्कार विवेचन। (57) यज्ञोपवीत संस्कार विवेचन। (58) विवाह संस्कार विवेचन। (59) वानप्रस्थ संस्कार विवेचन। (60) अंत्येष्टि संस्कार विवेचन। (61) मरणोत्तर संस्कार विवेचन। (62) बाल विवाह की भयंकरता से समाज को बचाया जाय। (63) बच्चों को सद्गुणी कैसे बनायें? (64) छात्रों का निर्माण अध्यापक करें। (65) हरिजन उत्कर्ष के लिए बड़े कदम उठें। (66) नारी उत्थान के लिए महिलायें आगे आवें। (67) पशुबलि हिन्दू धर्म का कलंक। (68) नवनिर्माण के लिए जन-सम्मेलन। (69) विधवा विवाह शास्त्र विरुद्ध नहीं। (70) क्या मनुष्य पशु-पक्षियों से भी गिरा रहेगा। (71) खाया कैसे जाय? (72) शरीर को स्वस्थ रखिये। (73) आरोग्य का आधार शारीरिक श्रम। (74) कपड़ों से जकड़े न रहिये। (75) ब्रह्मचर्य जीवन की अनिवार्य आवश्यकता। (76) सर्वोपयोगी सरल व्यायाम। (77) स्वस्थ रहना है तो यह खाइये। (78) कब्ज से कैसे बचें और छूटें? (79) श्वास सही तरीके से लीजिये। (80) दूध पियें तो इस तरह। (81) उत्कृष्ट और परिष्कृत जीवन। (82) मन की तुष्टि आत्मा की दुर्गति। (83) मन के हारे हार है,मन के जीते जीत। (84) अपने दोषों को ढूंढ़ें और निकालें। (85) मरने से डरना क्या? (86) कलात्मक जीवन जियें। (87) जिन्दगी हंसते-खेलते जियें। (88) सुखी इस तरह रहा जा सकता है। (89) जीवन श्रेष्ठ व सार्थक बने। (90) जीवन का लक्ष्य भुला न दिया जाय। (91) सन्तोषी सर्वदा सुखी। (92) मत असन्तुष्ट रहिये, मत खिन्न हूजिये। (93) कामना और वासना की मर्यादा। (94) अपना दृष्टिकोण बदलें। (95) असन्तोष की आग में यों न जलें। (96) घन्योगृहस्थाश्रमः। (97) परिवार को सुसंस्कृत बनायें। (98) परिवार का पालन ही नहीं निर्माण भी। (99) सुखी और सफल दाम्पत्य जीवन। (100) दाम्पत्य जीवन में स्वर्ग का अवतरण। (101) क्या नारी इसी दुर्दशा में पड़ी रहेगी? (102) सुयोग्य नारी सुखी गृहस्थ। (103) पुत्र की कामना से उद्विग्न क्यों? (104) धन का उपार्जन और उपयोग। (105) मित्रता क्यों कैसे और किससे? (106) स्वाध्याय में प्रमाद न करें। (107) बोलिए तो पर इस तरह। (108) बच्चों को बिगड़ने न दें। (109) बच्चों का भावनात्मक विकास। (110) बच्चों का प्रशिक्षण घर की पाठशाला में। (111) चरित्र का निर्माण सबसे बड़ा निर्माण (112) सद्गुण बढ़ाएं सुसंस्कृत बनें। (113) व्यक्तिवाद नहीं-समूहवाद। (114) परोपकारी और सेवा भावी बनिये। (115) स्वार्थ और परमार्थ का समन्वय। (116) अपना सुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा। (117) पहले अपने को सुधारें। (118) उद्धरेदात्मनात्मानम्। (119) संयम हमारी एक महत्वपूर्ण आवश्यकता। (120) मनोबल की चमत्कारी शक्ति (121) अनर्थकारी गलतफहमियों से बचे रहें। (122) धैर्य सब सफलताओं का मूल है। (123) ज्ञान-योग की साधना। (124)कर्मयोग की नीति-रीति।(125) भक्ति-योग का वास्तविक रूप। (126) प्रेम ही परमेश्वर है। (127) उपासना जीवन की अनिवार्य आवश्यकता। (128) हम ईश्वर से विमुख न हों। (129) गृहस्थ एक योग साधना।(130) आत्मा की पुकार अनसुनी न करें। (131) हम सशक्त और साहसी बनें। (132) सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है। (133) जो करें मन लगाकर करें।(134) आराम नहीं, काम कीजिये। (135) विनोद और उल्लास की प्रवृत्तियाँ। (136) मित्रता करें पर समझ-बूझकर। (137) बचत ही आपकी असली आय है। (138) उतावली न करें-उद्विग्न न हों। (139) दूसरों के दोष-दुर्गुण ही न देखा करें। (140) प्रतिकूल परिस्थितियों में भी उद्विग्न न हों। (141) कठिनाइयों से डरिये नहीं-लड़िये। (142) निराशा को पास न फटकने दें। (143) आवेश-गृहस्थ होने की अपार हानि। (144) विचारों की उत्कृष्टता प्रगति का मूल मंत्र। (145) मानसिक स्थिति का स्वास्थ्य पर प्रभाव। (146) न डरिये न अशान्त हूजिये। (147) अहंकार में डूब मत जाइये। (148) सज्जनता की राह। (149) हम दुर्बल नहीं शक्तिशाली बनें। (150) धर्मरक्षा से आत्मरक्षा होगी। (151) मर्यादाओं का उल्लंघन न करें। (152) समय का सदुपयोग करें। (153) हम सुख शाँति से वंचित क्यों हैं? (154) सशक्त दीर्घ जीवन का राजमार्ग। (155) अपूर्णता से पूर्णता की ओर। (156) काम आएंगे अपने ही हाथ। (157) विद्या की संपत्ति निरन्तर बढ़ाती चलें। (158) अपना उत्साह शिथिल न होने दें। (159)टोना-टोटका, जंतर मंतर। (160) जीतता है सत्य ही, असत्य नहीं। (161) बच्चों का निर्माण घर की पाठशाला में। (162) उत्तम साहित्य से संपर्क स्थापित कीजिये। (163) भावुकता से सावधान। (164) उच्च शिक्षित कन्या की विवाह समस्या। (165) झूठी आलोचनाओं से परेशान न रहिये। (166) वे गरीब बच्चे महान कैसे बने? (167) अपनी आर्थिक स्थिति डगमगाइए मत। (168) प्रशंसा की सृजन शक्ति से आश्चर्यजनक सुधार। (169) झोला पुस्तकालय-अमृत कलश। (170) ज्ञान-यज्ञ का उद्देश्य और स्वरूप। (171) गो-रस बेचन हरि मिलन-एक पंथ दो काज। (172) मनुष्य में देवत्व। (173) खर्च करना भी सीखिये। (174) कर्ज से पीछा कब छूटे? (175) गृहस्थाश्रम-एक कर्त्तव्य कर्म। (176) छोटी उम्र में बड़े काम। (177) जीतेंगे हिम्मत वाले। (178) खाते समय इन बातों का ध्यान रखिये। (189) बुराइयों के अन्धकार में प्रकाश की किरण। (180) धरती पर स्वर्ग। (181) दुर्दैव को चुनौती। (182) हमारा स्वास्थ्य संकट और उसका समाधान। (183) तेजस्वी और मनस्वी संतति। (184) पतिव्रत की महिमा पत्नी व्रत की गरिमा। (185) समस्यायें अनेक हल एक। (186) गुण निर्माण का आधार व्यक्ति निर्माण- (187) सौभाग्य का द्वार- सम्मिलित परिवार। (188) यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते...............। (189) आन्तरिक सुख ही वास्तविक सुख। (190) बुढ़ापे से टक्कर लीजिये। (191) हमारी शत-सूत्री युग-निर्माण योजना। (192) हमारा युग निर्माण सत्संकल्प। (193) संगठित परिवार-स्वरूप एवं आदर्श। (194) गृहस्थ ही नहीं सद्गृहस्थ बनें। (195) अमृत और पारस। (196) शतायु जीवन का राजमार्ग। (197) आदर्श परिवार की मर्यादायें। (198) प्रतिष्ठा यों प्राप्त करें। (199) जीवन लक्ष्य और उसकी प्राप्ति।

कविता और कहानियाँ

इन पुस्तिकाओं के पृष्ठ ट्रैक्टों की अपेक्षा अधिक हैं। उसी अनुपात से इनका मूल्य भी अधिक रखा गया है। इन पुस्तिकाओं का मूल्य 40-40 पैसा है।

12 कहानी

1. समाधि दीप। 2. ज्योति बुझती नहीं। 3. प्रकाश की ओर। 4. भगवान् के दरबार में। 5. एक थे राजा। 6. प्रेरणाप्रद कथा गाथायें। 7. सौम्य संवाद। 8. अविस्मरणीय संस्मरण, भाग-1। 9. अविस्मरणीय संस्मरण, भाग-2। 10. अविस्मरणीय संस्करण भाग-3। 11. सन्त समागम। 12. प्रेरक प्रसंग।

12 कविता

1. ज्योति किरण। 2. नव युग का नया निर्माण। 3. अपना दीप जलाओ। 4. अभिवन्दना। 5. अभिव्यंजना। 6. युग-नियन्त्रण। 7. मंगल किरण। 8. अवतार कथा। 9. नव-प्रभात। 10. प्रभात किरण। 11. मणियुक्ता। 12. अर्जना गीत।

62 जीवन-चरित्र -कुल मूल्य 24) 28

युग निर्माण योजना का उद्देश्य राष्ट्र की भावी पीढ़ी को सशक्त, समर्थ और विचारवान बनाना है। यह तेजस्विता महापुरुषों की जीवन शैलियों के अनुसरण से सम्भव होती है। अब तक इस सीरीज में 62 ट्रैक्ट छप चुके हैं, इन पुस्तिकाओं का मूल्य 40-40 पैसे रखा गया है।

1. जगद्गुरु शंकराचार्य। 2. स्वामी विवेकानन्द। 3. महावीर स्वामी। 4. ईश्वरचन्द्र विद्यासागर। 5. महर्षि कर्वे। 6. ठक्कर बापा। 7. महापुरुष लेनिन। 8. महर्षि कार्लमार्क्स। 9. पवित्रात्मा ब्रह्मा।10. ठाकुर दयानन्द। 11. महाप्रभु चैतन्य। 12. स्वामी केशवानन्द। 13. प्रभु जगद्बन्धु। 14. महात्मा एण्ड्रूज। 15. अब्राहम लिंकन। 16. केशव चन्द्र सेन। 17. राजाराम मोहनराय। 18. गोपाल कृष्ण गोखले। 19. श्रीमती एनी बेसेन्ट। 20. रामकृष्ण परमहंस। 21. महायोगी अरविन्द। 22. दादाभाई नौरोजी। 23. सन्त कबीर। 24. महारानी अहिल्याबाई। 25. गुरु गोविन्द सिंह। 26. टोयोहिको कागावा। 27. वीर शिवाजी। 28. दुर्गादास। 29. महात्मा फ्राँसिस। 30. स्वामी सहजानन्द। 31. वीर सावरकर। 32. सिस्टर निवेदिता। 33. मास्टर प्रभुदयाल। 34. समर्थगुरु रामदास। 35. सन्त तुकाराम। 36. कमाल पाशा। 37. महापुरुष जैमिनी। 38. लाला लाजपत राय। 39. गैरीवाल्डी। 40. मदनमोहन मालवीय। 41. महात्मा गौतम बुद्ध। 42. विनोबा भावे। 43. लोकमान्य तिलक। 44. सुभाषचन्द्र बोस। 45. रवीन्द्र नाथ टैगोर। 46. जमना लाल बजाज। 47. महादेव गोविन्द रानाडे। 48. जुगल किशोर बिरला। 49. मार्टिन लूथर। 50. मार्टिन लूथर किंग। 51.फ्लोरेन्स नाइटिंगेल। 52. गणेश शंकर विद्यार्थी। 53. पुरुषोत्तम दास टण्डन। 54. महापुरुष ईसा। 55. बंकिमचन्द्र। 56. महारानी लक्ष्मीबाई। 57. सन्त सुकरात। 58. श्रीमती सरोजनी नायडू। 59. गंगाराम। 60. स्वामी श्रद्धानन्द। 61. कर्मवीर कोलम्बस। 62. विश्वेश्वरैया।

15 गायत्री ट्रैक्ट

गायत्री महामन्त्र के विज्ञान और विधान से परिचित कराने वाले सर्वांग सुन्दर प्रचार ट्रैक्ट। मूल्य प्रत्येक का 40-40 पैसा।

1. गायत्री का स्वरूप व रहस्य। 2. गायत्री की गुण शक्ति। 3. सर्व सुलभ साधना। 4. गायत्री शक्ति का स्रोत सविता देवता। 5. गायत्री और उसका प्राण-प्रक्रिया। 6. गायत्री पंचमुखी और एक मुखी। 7. गायत्री की पंचविधि दैनिक साधना। 8. गायत्री की साधनायें। 9. गायत्री मन्त्र की विलक्षण शक्ति। 10. गायत्री की असंख्य शक्तियाँ। 11. गायत्री की सिद्धियाँ। 12. गायत्री शक्ति का नारी स्वरूप। 13. स्त्रियों का गायत्री अधिकार। 14. गायत्री और यज्ञोपवीत। 15. गायत्री और यज्ञ का सम्बन्ध।

एक-एक रुपया मूल्य की अनुपम पुस्तकें

विचार क्रान्ति, नव-निर्माण, जन जागृति एवं आत्मोत्कर्ष की अति प्रेरणाप्रद पुस्तकें। अति सुन्दर, सस्ती कार्ड के रंगीन कवरों वाली यह पुस्तकें हर शिक्षित व्यक्ति के पास रहने योग्य। मूल्य प्रत्येक का एक-एक रुपया।

1. पन्थ अनेक लक्ष्य एक। 2. आत्म कल्याण का राजमार्ग। 3. सद्गुणों की सच्ची संपत्ति। 4. आशा की जीवन ज्योति। 5. प्रगति के पथ पर। 6. मनुष्य का मूल्याँकन। 7. मानसिक कमजोरियों से बचें। 8. समाज की अभिनव रचना। 9. समस्त समस्याओं का एक ही हल। 10. नये युग की नई प्रेरणा। 11. विष से अमृत की ओर। 12. मनुष्य में ईश्वर की झाँकी। 13. नये युग का सूत्रपात। 14. जीवन संग्राम में कैसे जीतें? 15. राष्ट्र की निर्मात्री नारी। 16. प्रभावशाली वक्ता बनने की कला। 17. आप लेखक कैसे बनें?18. आरोग्य रक्षा रहस्य। 19. तम्बाकू घातक विष है। 20. कल्प चिकित्सा। 21. शिशु जन्म से पूर्व। 22. शिशु और अभिभावक। 23. हमारे महान उत्तराधिकारी। 24. बच्चे और उनका मनोविज्ञान। 25. बालकों का नव निर्माण। 26. बाल विकास की समस्याएं। 27. बच्चों को कैसे सुधारा जाये। 28. बच्चों की शिक्षा-दीक्षा। 29. बालकों को इन दुर्गुणों से बचाइये। 32. बच्चे सद्गुणी कैसे बनें। 33. सुख-शाँतिमय गृहस्थ। 34. सुसन्तुलित परिवार। 35. मितव्ययी बनिये-सुखी रहिये। 36. भारत की महान विभूतियाँ। 37. बड़ों की बड़ी बातें। 38. युग सन्देश। 39. युग वीणा। 40. उद्बोधन। 41. दोहा अंताक्षरी।

धर्म कथा एवं प्रवचनों का साहित्य

गीता, रामायण एवं सत्यनारायण कथा का ऐसे सुन्दर ढंग से संकलन किया गया है कि जनता को इन प्रवचनों द्वारा मन्त्रमुग्ध किया जा सकता है। और जन जागृति के आन्दोलन के लिये यह पुस्तकें अति उपयोगी हैं।

1.गीता कथा 6)

2.गीता पद्यानुवाद 3)

3.रामायण कथा 6)

4.संक्षिप्त रामायण 1)

5.सत्य नारायण कथा-75

6.सत्यनारायण कथा पद्यानुवाद-40

पर्व और संस्कारों का प्रशिक्षण

नैतिक, साँस्कृतिक एवं आध्यात्मिक भावनाओं का जीवन का अभिनव जागरण करने के लिये पर्वों एवं संस्कारों की महान परम्परा जागृत करने एवं इस माध्यम से लोक शिक्षण की आवश्यकता पूरी करना आज की स्थिति में अति आवश्यक है। प्रस्तुत पुस्तकें उसी आवश्यकता की पूर्ति के लिये हैं।

1. अभिनव संस्कार पद्धति 2) 50

2. पर्वों की प्रेरणा और पद्धति 2)

पर्व मनाने का विधान

1.श्रावणी पर्व विधान 50 पैसे।

2.पितृ अवस्था पर्व विधान 40 पैसे।

3.विजयादशमी और दीपावली पर्व विधान 50 पैसे।

4.गीता जयन्ती और बसन्त-पंचमी विधान 43 पैसे।

5.शिवरात्रि और होलिका पर्व विधान 50 पैसे।

6.गायत्री जयन्ती और गुरु पूर्णिमा 40 पैसे।

संस्कार बनाने के विधान

1.पुँसवन और नामकरण संस्कार 40 पैसे।

2.अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म और विद्यारम्भ संस्कार 40 पैसे।

3.यज्ञोपवीत और वानप्रस्थ संस्कार 40 पैसे।

4.विवाह संस्कार 50 पैसे।

5.मरणोत्तर और अन्त्येष्टि संस्कार 50 पैसे।

6.जन्म दिवसोत्सव और विवाह-दिवसोत्सव संस्कार 40 पैसे।

गायत्री विद्या के अमूल्य ग्रन्थ रत्न

वेदमाता गायत्री महाशक्ति के अति महत्वपूर्ण रहस्यों एवं अनुभूत विधानों का वर्णन इन पुस्तकों में विस्तारपूर्वक सरल भाषा में किया गया है, इन अनुपम पुस्तकों को पढ़ आशाजनक लाभ उठाया जा सकता है।

1.गायत्री महाविज्ञान प्रथम भाग 3.50

2.गायत्री महाविज्ञान द्वितीय भाग 3.50

3.गायत्री महाविज्ञान तृतीय भाग 3.50

4.गायत्री यज्ञ-विधान भाग-12.00

5.सामूहिक गायत्री हवन (यज्ञ-विधान भाग-2) 2.00

6.गायत्री चित्रावली 1.50

7.गायत्री मन्त्रार्थ 1.50

8.संक्षिप्त गायत्री हवन 20

पुस्तक मंगाते समय इन नियमों को ध्यान में रखें।

1. 6 रु. से कम की पार्सल नहीं भेजी जाती।

2. डाक खर्च या रेलवे खर्च हर हालत में मंगाने वाले के जिम्मे होगा।

3. 10 रु. से कम पर कोई कमीशन नहीं। 10 रु. से 99 रु. तक 15 प्रतिशत और 100 रु. से ऊपर का माल मंगाने पर 25 प्रतिशत कमीशन दिया जाता है।

4. छोटे पार्सल डाक से और बड़े पार्सल रेल से मंगाने से लाभ रहता है। रेल से मंगाना हो तो अपने रेलवे स्टेशन का नाम भी लिखिये। अपना पता हिन्दी या अंग्रेजी में स्पष्ट अक्षरों में लिखना चाहिये।

‘अखण्ड-ज्योति’ संस्थान, मथुरा


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118