गाँधी जी कश्मीर जा रहे थे। थर्ड क्लास के जिस डब्बे में वे यात्रा कर रहे थे, उसमें वर्षा का बहुत सा जल भर जाने से डिब्बा गीला हो गया था।
गार्ड ने यह देखा तो गाँधी जी से जाकर कहा- “आप डिब्बा बदल लें, आपके लिये अन्यत्र व्यवस्था कर देते हैं।”
फिर इस डिब्बे का क्या होगा गाँधी जी ने पूछा। तो गार्ड ने बताया- इसमें दूसरे यात्रियों को बैठा दिया जायेगा।
अपने आराम के लिये दूसरों को यहाँ बैठाने की बात सोचना भी मेरे लिये कठिन है। यह कहकर गाँधी जी ने डिब्बा बदलने से इनकार कर दिया।