जो लोग कृष्ण-कृष्ण कहते हैं वे उसके पुजारी नहीं हैं। जो उसका काम करते हैं वे ही पुजारी हैं।
उसी प्रकार रोटी-रोटी कहने से पेट नहीं भरता, रोटी खाने से भरता है।
-बापू,
जीवन को सफल तथा सुख शाँतिमय बनाने और आगामी जीवन के अनुकूल भूमि का निर्माण करने के लिए मनुष्य को आध्यात्मिक जीवन पद्धति द्वारा पुण्य और परमार्थ संचय करते रहने चाहिएं। इस मंगलमय विचारधारा से ओत-प्रोत बुद्धिमान न तो वर्तमान जीवन में दुःखी रहते हैं और न उनके लिए किसी आगामी जीवन में भय का कारण शेष रह जाता है।