विभूतियाँ उन में भी हैं।

May 1991

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मनुष्य स्रष्टा की सर्वोत्तम कृति है, उसने उसे समर्थ सशक्त बनाने के लिए अनेकानेक प्रकार की विभूतियों से सुसज्जित किया है, पर अन्य प्राणियों की सर्वथा उपेक्षा कर दी हो, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता। आवश्यकता के अनुरूप उनमें भी शक्तियाँ सँजोयी गई है, ताकि वे इतने अक्षम भी न रह जाये कि विभिन्न प्रकार की आपदाओं से अपनी रक्षा ही न कर सके और सृजेता के सिर यह कलंक लगे कि सृष्टि संरचना के संदर्भ में उसने दोहरे मानदण्ड की नीति अपनायी है।

एक घटना बीसवीं सदी के प्रथम दशक की है। अमेरिका के पश्चिमी द्वीप-समुह में स्थित पाँच हजार फुट ऊँचा एक पर्वत है - माउण्टपीरो। अब से लगभग नब्बे वर्ष पूर्व इसके आस-पास कितनी ही बस्तियाँ थीं, जिनमें हजारों लोग रहते थे, पर आज इतने वर्षों बाद भी वहाँ की आबादी उतनी सघन नहीं हो पायी है, जितनी पहले कभी थी। कारण वहां का जीवित ज्वालामुखी है। सन् 1903 की गर्मी के एक दिन माउण्टपीरो के जीव-जन्तु न जाने क्यों एक अज्ञात भय से इधर-उधर भागने लगे। यह आकुलता पालतु पशुओं में भी दिखाई पड़ी, पर लोग इसका कारण न समझ सके और पाश्विक उन्मन समझ कर इसकी उपेक्षा कर दी, किन्तु यह क्या। इस घटना के अभी चार दिन भी नहीं बीते कि पर्वत के मध्य एक तीव्र विस्फोट हुआ और लाल लावा पहाड़ के चारों ओर मीलों तक बिखर गया। दुर्घटना में करोड़ों की सम्पत्ति बरबाद हुई और लगभग 35 हजार व्यक्ति मारे गये। ज्वालामुखी विस्फोट के कारण ही जन्तुओं के पलायन का कारण विदित हो सका।

तो क्या माउण्टपीरो के जीवधारियों को इस विपत्ति का आभास समय से पूर्व हो गया था? प्रसिद्ध अमेरिकी प्राणिशास्त्री डॉ. विलियन जे. लाँग अपनी चर्चित पुस्तक “ई. एस. पी. इन एनिमल्स” में उक्त घटना का उल्लेख करते हुए लिखते हैं कि ऐसा होना आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि उनमें ऐसी क्षमताएँ होती हैं... कहते हैं कि उनकी इसी विशेषता के कारण जापानी लोग प्राकृतिक आपदा से आत्मरक्षा करने में समर्थ हुए हैं। ‘उनके अनुसार गोल्ड फिश नामक एक मछली होती है, जिनमें ऐसी क्षमता उच्च स्तर तक विकसित होती है। ज्वालामुखी विस्फोट अथवा भूकम्प जैसी प्राकृतिक विभीषिकाएँ जब उक्त क्षेत्र में आने वाली होती हैं, तो वह मछली उसकी सूक्ष्म तरंगों को समय से पूर्व पकड़ लेती है, जिसका आभास उसकी तीव्र बेचैनी और हलचल से मिलने लगता है। जब कभी ऐसे अवसर उपस्थित होते हैं, तो जापानी लोग इसका अनुमान लगा लेते हैं कि अवश्य ही कोई अनहोनी उस स्थान विशेष पर होने वाली है और इस आधार पर अपनी सुरक्षा करने लगते हैं।

अभी कुछ दिनों पूर्व प्रमुख अमेरिकी दैनिक “न्यूयार्क टाइम्स” में एक घटना प्रकाशित हुई थी, जिसमें कहा गया था कि वियना में एक कुत्ता माल चढ़ाने-उतारने की एक क्रेन के समीप पड़ा सुस्ता रहा था। अचानक वह चौंका उछला और दूर जा बैठा। अभी इसके पाँच मिनट भी नहीं बीते थे कि क्रेन की जंजीर टूटी और एक भारी उपकरण वहाँ आ गिरा जहाँ कुत्ता पहले बैठा था। घटना विद्लाग नामक एक इंजीनियर के सामने घटी थी। वे इससे इतना प्रभावित हुए कि अभियन्ता का अपना धन्धा छोड़ कर “प्राणियों में अतीन्द्रिय सामर्थ्य “ विषय पर अनुसंधान करने के लिए एक शोधशाला खोल बैठे। अब वे जेम्स डिकार्डो नामक एक प्राणि विज्ञानी के साथ इसी विषय पर शोध कर रहे हैं।


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