“संत महात्मा अनेक होते हैं। भजन करते, भीख माँगते और जहाँ तहाँ विचरते दिन पूरे करते हैं।
पर इस समुदाय में एक रत्न निकले बाबा जम्बूसर वे जोधपुर के पास धीमसर गाँव में रहते थे। उनने भक्ति भाव से भी अधिक ध्यान कुरीतियों और अनैतिकताओं के ठीक कराने के लिए जनसंपर्क साधने का किया। उन्होंने जाति-पाति, नशा, माँसाहार, बालविवाह जैसी अनेकों कुरीतियों को त्यागने व सत्प्रवृत्तियों को बढ़ाने में बड़ी संख्या में सफलता पाई। ऐसे व्रतधारियों का उन्होंने विशालकाय बिश्नोई संप्रदाय बनाया।