अपनों से अपनी बात−2 - संगठन−सशक्तीकरण वर्ष में आंदोलनों को गति दी जाए

October 2002

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हम एक आदर्श आधार रख सकें−सही प्रयास हो

प्रस्तुत वर्ष एक विशिष्ट वर्ष हैं। प्रखर−साधना महापूर्णाहुति एवं फिर हीरक जयंती वर्ष मनाने के बाद साधना की धुरी पर संगठन को सशक्त बनाने के लिए इस वर्ष ही नहीं, 2004 की जनवरी तक हम संकल्पित हैं। गुरुसत्ता की इच्छा है कि इस अवधि में सारा गायत्री परिवार विधिवत संगठित हो जाए, प्रत्येक की अपनी कार्यविधि निर्धारित हो एवं हमारी अधिकाधिक शक्ति समूह साधना में नियोजित हो। सुसंगठित हो समाज की सेवा में लगना हम सबकी नियति भी है, समय की आवश्यकता भी। मात्र भावनाओं के दुर्भिक्ष में जी रहे संकीर्ण स्वार्थी ही इस सेवा−साधना से दूर रह सकते हैं। परमपूज्य गुरुदेव इस संबंध में लिखते हैं, भजन का अर्थ है सेवा। सेवा किस की? इसका उत्तर एक ही हो सकता है−आदर्शों की आदर्शों का समुच्चय की भगवान है। दुष्प्रवृत्तियों के उन्मूलन एवं सत्प्रवृत्तियों के संवर्द्धन के लिए ही भगवान समय−समय पर अवतार लेते हैं ईश्वर की अनुकंपा किस पर कितनी हो रही है, इसकी परख प्रक्रिया एक ही है कि उसे उन्मूलन से सात आँदोलन आज से चार वर्ष पूर्व दिए गए। इनमें से कई भिन्न−भिन्न रूपों में चल भी रहे थे। गायत्री तपोभूमि द्वारा प्रायः पाँच वर्ष पूर्व आस्तिकता संवर्द्धन, स्वास्थ संवर्द्धन, नारी जागरण, व्यसन मुक्ति, कुरीति उन्मूलन, विवाहोन्माद प्रतिरोध तथा दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन सत्प्रवृत्ति संवर्द्धन ये सात कार्यक्रम दिए गए हैं। पूर्व घोषित इन कार्यक्रमों में शिक्षा, स्वावलंबन और पर्यावरण तपोभूमि के आँदोलनों में नहीं थे, किंतु जून 2002 की युगनिर्माण योजना में पृष्ठ 21−22 पर इन तीन आँदोलनों को जोड़ लेने की बात भी प्रकाशित की गई। वैसे भी गौ संवर्द्धन, ग्रामोद्योग, हरीतिमा संवर्द्धन परोक्ष रूप से तपोभूमि द्वारा पूर्व से ही चलाए जा रहे थे। शिक्षा आँदोलन के अंतर्गत एक युगनिर्माण विद्यालय तपोभूमि में 1967 से सतत चल रहा है, जो एक वर्ष का रोजगार प्रधान अनौपचारिक पाठ्यक्रम आधार बनाता है। इसी तरह शाँतिकुँज के कुरीति उन्मूलन कार्यक्रम में दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन, कुरीति उन्मूलन (तपोभूमि) तथा विवाहोन्माद प्रतिरोध आ जाते हैं। सत्प्रवृत्ति सेवाधर्म अपनाने के लिए कितनी ललक उठी, कितनी लगन लगी। (प्रज्ञा अभियान नव. दिस. − 1982) निश्चित ही किसी के भी मन में आ सकता है कि इससे हमें क्या मिलेगा। आत्मिक प्रगति, मन की शाँति एवं भव−बंधनों से मुक्ति सेवा−साधना से, सद्गुरु के बताए कार्यों में लगने से स्वयं होते चले जाते हैं। युगधर्म यही है कि भ्राँतियों और विकृतियों के दलदल में फंसे लोकमानस को उबारा जाए। इसी निमित्त युगनिर्माण योजना मथुरा द्वारा सप्तक्राँतियाँ एवं शाँतिकुँज हरिद्वार द्वारा सप्त आँदोलन जन−जन को दिए गए।

प्रकाराँतर से दोनों एक ही हैं। शब्दों का हेर−फेर हो सकता है, पर अब दोनों का एकीकरण कर जन−जन के लिए उन्हें सब और सरल बना दिया गया है। इस संगठन−सशक्तीकरण वर्ष एवं गायत्री तपोभूमि के स्वर्ग जयंती वर्ष में हम सभी का प्रयास होना चाहिए कि ये सातों आँदोलन जन−जन में विस्तार पा जाएँ एवं इनके माध्यम से धर्मतंत्र द्वारा समाज के नवनिर्माण की प्रक्रिया सहज ही मूर्तरूप लेती चली जाए। शाँतिकुँज द्वारा साधना, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वावलंबन, पर्यावरण, महिला जागरण, व्यसनमुक्ति, कुरीति संवर्द्धन, कुरीति उन्मूलन, व्यसन मुक्ति का उत्तरार्द्ध है। आस्तिकता संवर्द्धन प्रकाराँतर से शाँतिकुँज का साधना आँदोलन है।

इस तरह पूरे भारत में (संख्या भले ही न्यूनाधिक हो) एक स्वर से अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा जिन आँदोलनों को गति दी जा रही है, वे इस प्रकार हैं−

साधना आँदोलन−आस्तिकता संवर्द्धन

सबके लिए सुगम साधना ताकि सबके उज्ज्वल भविष्य की प्रार्थना की जा सके। उपासना की गहराई बढ़ एवं हमारी प्रार्थना−उपासना जीवन−साधना की ओर उन्मुख हो। इसके लिए उपलब्ध है, सबके लिए सुलभ उपासना−साधना पुस्तिका। इसका संशोधित−संवर्द्धित संस्करण शांतिकुंज, गायत्री तपोभूमि मथुरा एवं सभी तीस साहित्य विस्तार पटलों पर उपलब्ध हैं।

स्वास्थ्य आँदोलन

स्वास्थ्य संवर्द्धन कार्यक्रम जिसके अंतर्गत जन−जन को स्वस्थ रहने के नियम, सर्वसुलभ योग−व्यायामों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही जड़ी−बूटी चिकित्सा के प्रयोगात्मक सूत्र भी बताए जा रहे हैं। इस पर आगामी वर्ष से विश्वविद्यालय में कोर्स आरंभ होने जा रहे हैं। सब तक चिकित्सा सुविधाएँ पहुँचाने के लिए ग्रामतीर्थ योजना के अंतर्गत चिकित्सा कैंप लगाए जाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। सहयोगी पुस्तकें हैं, प्रज्ञा−अभियान का योग−व्यायाम, जड़ी−बूटी संदर्शिका, मसाला वाटा, स्वास्थ्य विषयक तपोभूमि द्वारा प्रकाशित छोटी−छोटी पुस्तिकाएँ।

शिक्षा आँदोलन

इसके अंतर्गत विद्यालयों महाविद्यालयों में विचारक्राँति विस्तार, बाल संस्कारशालाएँ, कामकाजी विद्यालय, भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा, युगनिर्माण योजना का पत्राचार पाठ्यक्रम तथा देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के बहुमुखी पाठ्यक्रम आते हैं। अगले दिनों इसके डिस्टेंट सेंटर्स सारे भारत में खुलने की संभावनाएँ हैं। सहयोगी पुस्तकें हैं, तपोभूमि की छोटी कई पुस्तिकाएँ, संस्कृति मंडलों की स्थापना, छात्रों में नैतिक विकास की कार्य योजना, शिक्षक संदर्शिका,नैतिक शिक्षा (दो भागों में)।

स्वावलंबन आँदोलन

गाँवों नगरीय इकाइयों को साँस्कृतिक−आर्थिक स्वावलंबन की ओर बढ़ाना। युवाशक्ति को बेरोजगारी से मुक्ति दिलाकर उन्हें गाँवों में ही रहने को प्रेरित करना। स्वावलंबी बनाने को हर वर्ग के लिए व्यावहारिक कार्ययोजना देना। ग्रामतीर्थ योजना, गौ केंद्रित कृषि एवं अर्थव्यवस्था पर जोर देना, इनके प्रशिक्षण चलाना। सहयोगी पुस्तकें हैं, ग्रामोत्थान की ओर, आर्थिक स्वावलंबन, केंचुआ−खाद संदर्शिका, राष्ट्र के अर्थतंत्र का मेरुदंड गौशाला, जयति जय गौ माता (पुस्तक व कैसेट), पंचगव्य चिकित्सा।

व्यसन मुक्ति एवं कुरीति उन्मूलन

समाज में छाई सभी कुरीतियों−विवाहोन्माद−दहेज−नेग के दिखावे जैसी प्रवृत्तियों के दुष्परिणाम समझाकर उनके खिलाफ आँदोलन। साथ ही व्यसनों के खिलाफ संघर्ष, सामाजिक चेतना जगाना, रैली एवं श्रेष्ठ विकल्प प्रदान करना। व्यसनों कुरीतियों से बचाकर सृजन में लगाने की वृत्ति पैदा करना। इसी सीरिज में तपोभूमि द्वारा छोटी−छोटी कई पुस्तिकाएँ निकाली गई हैं। वाटिका (जयपुर) शक्तिपीठ द्वारा एक बड़ी विस्तृत मार्गदर्शिका प्रकाशित की गई है। नशा निवारण पर तीन नई पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं।

पर्यावरण आँदोलन

औद्योगीकरण प्रदूषण से हानियों के प्रति जनजाग्रति लाकर प्रकृति के प्रकोप से बचने की, हरीतिमा संवर्द्धन की रीति−नीति देना। कचरा निस्तारण की विधियाँ प्रचलित करना तथा पर्यावरण वाहिनियाँ बनाकर उनके द्वारा आँदोलन चलाया जाना। तुलसी आरोपण से लेकर जड़ी−बूटी की पौदों व वृक्षों का आरोपण, स्मृति उपवन की शृंखलाएं बनाना इसी में आता है। इस विषय में संबंधित ढेरों पुस्तक−पुस्तिकाएँ उपलब्ध हैं।

महिला जागरण

आँदोलन के रूप में नारी को अधिकार दिलाए जाने, अपना सृजनशील स्वरूप निखारने हेतु प्रेरित करना तथा स्थान−स्थान पर महिला मंडल बनाकर उनके द्वारा शिक्षा−स्वावलंबन−सुरक्षा−संस्कार के चतुर्मुखी कार्यक्रमों को गति देना। इसी धुरी पर शाँतिकुँज के मार्गदर्शन में ब्रह्मवादिनी बहनों के कार्यक्रम चल रहे हैं। अगले दिनों नारीशक्ति के केंद्रीय व क्षेत्रीय प्रशिक्षण भी आयोजित होंगे। संदर्भ पुस्तिकाएँ ढेरों उपलब्ध हैं।

इस प्रकार इन सात आँदोलनों को सक्रिय बनाने के लिए हर परिजन से कहा जा रहा है। संगठन सशक्त तभी होगा जब वह समाज में अपनी प्रामाणिकता इन सात क्राँतिकारी आँदोलनों द्वारा सिद्ध कर सके। इसी निमित्त कार्ययोजना बनाने व सारे भारत का एक सुव्यवस्थित−संगठित स्वरूप बनाने के लिए छह जोन बनाए गए, जिनमें से पश्चिमोत्तर (पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, हिमाचल, दिल्ली, पं. उत्तर प्रदेश व उत्तराँचल), पूर्वोत्तर (आसाम, पं. बंगाल, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, भूटान व पूर्वी नेपाल, उत्तरी झारखंड, पूर्वी बिहार) तथा दक्षिण भारत (दक्षिणी म. प्र., छत्तीसगढ़. उड़ीसा, महाराष्ट्र आँध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं केरल) के दौरे पूरे हो चुके, वहाँ का केंद्रीय व क्षेत्रीय संगठनात्मक ढाँचा, आँदोलनों का स्वरूप तय हो चुका। अब नेपाल व तराई के, उ. प्र. व बिहार के जिले, राजस्थान व गुजरात तथा केंद्रीय जोन (दक्षिणी बिहार, दक्षिण झारखंड, उत्तरी छत्तीसगढ़, म. प्र. के शेष जिले, उत्तर−प्रदेश के शेष जिले) का दौरा इन दो माहों में पूरा होकर दिसंबर 2002 तक एक सघन मंथन सारे राष्ट्र में हो चुका होगा।

इस संगठन वर्ष में एक और विधा स्थापित करने का मन बना है। वह है प्रत्येक जिले या सक्रिय जोन में प्रबुद्ध वर्ग की प्रज्ञा परिषद् की स्थापना का। इस विशिष्ट वर्ष में यदि हम शिक्षक−चिकित्सक−अधिकारीगणों सहित सभी गणमान्य नागरिकों को रोटरी लायंस, भारत विकास परिषद् की तरह एक परिषद में बाँध सके एवं उन्हें सुनियोजित कार्यक्रम दे सके तो यह विभूतियों का श्रेष्ठतम सदुपयोग होगा। उस संबंध में विस्तार से परिजन आगे तीनों पत्रिकाओं में पढ़ेंगे। तपोभूमि का स्वर्ण जयंती वर्ष कुछ विशिष्ट उपलब्धियाँ लेकर आए, शपथ समारोह में मिशन को सक्रियता के उफान तक ले जाने वाले प्राणवान सक्रिय परिजन ही आएँ तथा सभी घटकों को साधना और भी निखरे, यही मंगलकामनाएँ हमारी हैं।


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