स्वावलंबन की महत्ता (Kahani)

October 2002

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इंग्लैंड गए एक भारतीय के पास बिस्तर असवाब ज्यादा था। वह कुली को आवाज लगा रहे थे।

एक सज्जन ने उनकी कठिनाई को समझा और असवाब बग्घी पर लदवा दिया। उन सज्जन ने कुली की मजूरी पूछी, तो उनने अपना परिचय देते हुए कहा, वे वहाँ की बैंक के मैनेजर हैं। आपकी कठिनाई देखकर अपनी गाड़ी एक ओर खड़ी करके सहायता के लिए आए हैं। मजूरी आप से क्या वसूल की जा सकती है? इतना कहकर वे अपने काम पर चल दिए। भारतीय सज्जन ने ब्रिटिश समाज में दृढ़ता से जमे बैठे सुसंस्कारों की झलक एवं स्वावलंबन की महत्ता को उस दिन सही अर्थों में समझा।


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