बुद्धिमानी और मूर्खता (Kahani)

October 2002

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एक पिता के दो लड़के थे। दोनों की समझ परखने के लिए पिता ने दस−दस रुपये दिए और कहा−इनकी ऐसी वस्तु खरीद कर लाओ जो फर्श से छत तक जा पहुँचे।

एक लड़का सड़ा हुआ भूसा खरीद लाया और दूसरा एक बढ़िया लालटेन। लालटेन की रोशनी से घर जगमगा उठा और सड़े भूसे को बाहर फिंकवाने के लिए उल्टा दाम खर्चना पड़ा।

ईश्वर की दी हुई जीवन संपदा के बदले में हम क्या खरीदते हैं, यह स्वयं की बुद्धिमानी और मूर्खता पर निर्भर है।


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