स्वच्छंद आचर (Kahani)

October 2002

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सूफी संत शिवली एक दिन लंबी−सी जलती लकड़ी लेकर दौड़े जा रहे थे। लोगों ने पूछा−ऐसा किसलिए?

उन्होंने कहा−जन्नत में आग लगाने जा रहा हूँ, जिसमें लोग खुदा की इबादत करने नहीं, ऐशो−आराम के लालच से जाने के लिए चोर दरवाजा तलाश करते हैं। कर्तव्यों को भूल जाते हैं, स्वच्छंद आचरण करते फिरते हैं।


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