यह नहीं देखता (Kahani)

October 2002

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

चंद्रमा समुद्र से बोला, सारी नदियों का पानी आप अपने ही पेट में जमा करते हैं। ऐसी तृष्णा भी किस काम की?

समुद्र ने कहा, जिनके पास अनावश्यक पानी है उनसे लेकर बादलों द्वारा सर्वत्र न पहुँचाऊँ, तो सृष्टि का क्रम कैसे चले? यदि सब एकत्र ही करते रहेंगे तो औरों को  कैसे मिलेगा? मैं तो अपना कर्त्तव्य निभाता हूँ। अन्य क्या करते हैं, यह नहीं देखता।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles