Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 2002
Version 2
Quotation
Quotation
October 2002
Read Scan Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
संसार न माया है, न मिथ्या। वह भगवान का विराट रूप है। उससे अलग होने पर किसी जीवित का निर्वाह नहीं।
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
समाधि का सत्य
भक्ति और ज्ञान एक दूसरे के पूरक
स्वच्छंद आचर (Kahani)
मन की शाँति पानी हो तो क्षमाशील बनें
जीवन शैली से उपजे मनोविकास व उनका समाधान
आत्मसाधना के बिना लोकसाधना नहीं (Kahani)
संत के अपमान की परिणति
लोक आराधना का ही प्रभा(Kahani)
निश्चित होगा मिलन भविष्य में धर्म और विज्ञान का
Quotation
भगवान् आपको रोकते है (Kahani)
तनाव का सृजनात्मक समाधान
दुःख मनाने की अपेक्षा शानदार लंबे जीवन का लाभ (Kahani)
सतत पुरुषार्थ से व्यक्तित्व को गढ़ा जा सकता है।
बहिरंग नहीं, अंतरंग की सफाई
बुद्धिमानी और मूर्खता (Kahani)
जब कामनाएँ प्रार्थनाओं में बदल जाती हैं।
Quotation
वैदिक युग की नारी को इक्कीसवीं सदी में - पुनः प्रतिष्ठित किया जाएगा
Quotation
शुभ कार्य (Kahani)
स्वयं को खोकर ही प्राप्ति होगी सत्य की
भय है कायरता की प्रतिकृति
तू पहले दस कदम तो चल
किसी विधा से नहीं होता (Kahani)
साहस और संकल्प का महापर्व : विजयादशमी
जन्म−जन्मांतरों तक पीछा (Kahani)
अध्यात्म विद्या के एक महाप्रयोग का यह अवसर गवाएँ नहीं।
VigyapanSuchana
मुक्तिदायिनी आद्यशक्ति का सत्य मुखरित हुआ
अंकुश लगाना ही ठीक समझा (Kahani)
मन की वृत्तियों को निर्मल बना लो
यह नहीं देखता (Kahani)
गुरुगाता−3 - सद्गुरु की प्राप्ति ही आत्मसाक्षात्कार
अधिक श्रेयस्कर लगा (Kahani)
अमृतवाणी - नारी अपनी गरिमा को जाने और आगे बढ़े
स्वावलंबन की महत्ता (Kahani)
युगगीता−36 - साँख्या (संन्यास) और कर्मयोग दोनों एक ही हैं, अलग−अलग नहीं
गुरुकथामृत−36 - साधना की धुरी पर संगठन बनाने का शिक्षण
चेतना की शिखर यात्रा−8 - भागवत भूमि का सेवन (2)
अपनों से अपनी बात−1 - गायत्री तपोभूमि के स्वर्ण जयंती वर्ष की एक महत्वपूर्ण स्थापना
अपनों से अपनी बात−2 - संगठन−सशक्तीकरण वर्ष में आंदोलनों को गति दी जाए
केंद्र के समाचार−विश्वव्यापी हलचलें
संगठन की साधना (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More