अपनों से अपनी बात-2 - महापूर्णाहुति और उसके पाँच चरण

October 1999

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महापुरश्चरण की महापूर्णाहुति की घड़ियाँ समीप आ पहुँची हैं। मात्र कुछ माह के अंदर प्रथम चरण के आरंभ होने के साथ ही बारहवर्षीय युगसंधि महापुरश्चरण के रूप में एक ऐतिहासिक ब्रह्मास्त्र अनुष्ठान की अंतिम घड़ियाँ आरंभ हो जाएँगी। विगत अंक में पाँच चरणों की मोटी-मोटी जानकारी दी जा चुकी है। आगामी नवंबर अंक में तथा प्रज्ञा अभियान ‘पाक्षिक’ के अंकों के माध्यम से परिजन इसका विस्तृत स्वरूप जान सकेंगे। यहाँ उन पाँच चरणों की थोड़ी जानकारी कुछ स्पष्टीकरण के साथ परिजनों को दी जा रही है।

प्रथम चरण

महापूर्णाहुति के पूर्व एक पूर्वाभ्यास के रूप में तथा हम सबकी संघबद्धता को परीक्षा की कसौटी पर कसने के लिए 3 दिसंबर, 1999 को एक आयोजन-एक साथ, एक ही समय सारे भारत व विश्व के नागरिकों द्वारा किया जाना है, जिसका लक्ष्य है- ‘सबको स्वास्थ्य-सबके लिए उज्ज्वल भविष्य’। यह प्रसंग यों तो सबकी संघबद्धता को परीक्षा की कसौटी पर कसने के लिए 3 दिसम्बर, 1999 को एक आयोजन-एक साथ, एक ही समय सारे, एक ही समय सारे भारत व विश्व के नागरिकों द्वारा किया जाना है, जिसका लक्ष्य है- ‘सबको स्वास्थ-सबके लिए उज्ज्वल भविष्य’। यह प्रसंग यों तो भारत में पोलियो उन्मूलन अभियान के राष्ट्रीय कार्यक्रम की पूर्वबेला में जनचेतना के जागरण अभियान के रूप में आया है, परंतु दैवी पुरुषार्थ के बिना यह साधारण-सा दीखने वाला संकल्प पूरा होगा नहीं। पोलियो यों तो शारीरिक अपंगता-विकलाँगता के आमूलचूल निवारण का संकल्प लेकर अपने-अपने धर्मस्थलों पर दीपयज्ञ करेंगे-प्रतीक रूप में जो भी निर्दिष्ट है वैसा साधनात्मक उपचार करेंगे और प्रार्थना करेंगे कि सारा विश्व क्षुद्र चिंतन-मानसिक एवं मनोशारीरिक व्याधियों-तनाव, मानसिक विकलाँगताओं एवं शारीरिक अपंगता से मुक्त हो।

यह एक पारमार्थिक पूर्वाभ्यास है--संघशक्ति के सामूहिक धर्मानुष्ठान के रूप में। ईसाई, मुस्लिम, जैन, बौद्ध, पारसी, सिख, बहाई प्रायः सभी संप्रदायों के प्रमुखों-प्रतिनिधियों से संपर्क कर उनसे धर्म-संप्रदायों से परे इस महाअभियान में भागीदारी हेतु अपने अनुयायियों को निर्देश देने हेतु सहमत किया जा रहा है। रोटरीक्लब, लॉयंस-क्लब, भारत विकास परिषद् जैसी संस्थाएँ भी इसमें सहयोग दें, इसके लिए उनसे संपर्क किया जा रहा है ताकि जनचेतना जागे। इस दिन (शुक्रवार 3 दिसंबर 1999) संध्या से 5 से 6 सभी दीप प्रज्वलित कर लोबान या मोमबत्ती जलाकर अपने देवालयों में बैठकर एक साथ प्रार्थना करेंगे। यह एक संयोग ही है कि इसी दिन से दक्षिण अफ्रीका के कैपटाउन शहर में सारे विश्व के धर्मगुरुओं की ‘वर्ल्ड पार्लियामेंट’ भी एकजुट हो इक्कीसवीं सदी के धर्म ‘मानवधर्म’ पर विचार करने जा रह है। 3 से 8 दिसंबर तक चलने वाले इस अभियान में गायत्री परिवार की भी भागीदारी है। प्रायः मतीन वर्ष पूर्व से घोषित इस धर्मसंसद के इसी समय आयोजन से सूक्ष्मजगत् द्वारा दैवी संचालन प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है।

द्वितीय चरण-

10 फरवरी सन् 2000 जो वसंत पर्व की पावन वेला है, उस दिन एक ही समय सारे भारत व विश्व में एक साथ सभी परिजनों द्वारा दीपयज्ञ द्वारा अपनी आराध्यसत्ता का आध्यात्मिक जन्मदिवस मनाया जाएगा। महापूर्णाहुति वर्ष के अंतिम महत्वपूर्ण प्रसंग ‘विभूति यज्ञ’ के अंतर्गत प्रतिभाओं द्वारा अपने संकल्पों की इसी दिन घोषणा की जाएगी।

तृतीय चरण-

10 फरवरी 2000 से गायत्री जयंती (11 जून 2000) तक सारे देश में एक विराट् मंथन अभियान के रूप में ग्राम पंचायतों से केंद्र द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों के साथ आरीं होकर प्रायः पचास से भी अधिक प्राँतीय स्तर के स्थानों पर विराट् दीपयज्ञों के माध्यम से संपन्न होगा। विभिन्न सृजनात्मक, राष्ट्रोत्थानपरक तथा सुधारात्मक योजनाओं की गति पंचायत स्तर से ब्लॉक, जिला, कमिश्नरी व फिर प्राँत इस प्रकार पाँच खंडों में लिए जाने वाले संकल्पों द्वारा दी जाएगी।

चतुर्थ चरण-

गायत्री जयंती से शरदपूर्णिमा (13 अक्टूबर 200) की चार माह की अवधि में एक विराट् तीर्थयात्रा अभियान चलेगा। अभी योजना यह बनी है कि द्वारिका, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम्, दक्षिणेश्वर तथा जम्मू से पाँच विराट् रथयात्राएँ गायत्री जयंती से आरंभ हों। सृजन सैनिक साथ चलें एवं स्थान-स्थान पर आयोजन संपन्न कर पूरे भारत के चप्पे-चप्पे का मंथन कर सभी लोग युगतीर्थ आँवलखेड़ा एवं गायत्री तपोभूमि मथुरा होते हुए शांतिकुंज हरिद्वार एक साथ पहुँचे, जहाँ विराट् महाकुँभ के माध्यम से सभी अपनी आहुतियाँ देकर अपने संकल्प को पूर्णता दे सकें, इक्कीसवीं सदी की कमान सँभाल सकें।

पंचम चरण-

29 जनवरी 2001, वसंत पर्व पर पुनः सारे भारत व विश्व में एक साथ दीपयज्ञ के साथ जाएगा।

अभी तृतीय, चतुर्थ व पंचम चरणों को और विस्तृत रूप दिया जा रहा है इसका स्पष्ट प्रारूप अगले अंक में पाठक-परिजन पढ़ सकेंगे। हम सभी प्रथम-द्वितीय चरण के लिए अभी से कमर कसकर तैयारी कर लें।

*समाप्त*


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