सुखी और स्वस्थ जीवन के लिए शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होना अनिवार्य है। संतुलित आहार, आवश्यक व्यायाम एवं उचित विश्राम द्वारा पूर्ण स्वास्थ्यलाभ प्राप्त किया जा सकता है। व्यायाम से न सिर्फ बीमारियों से बचाव होता है, बल्कि यह चिकित्सा का सर्वजन सुलभ साधन भी है। यों तो व्यायाम कई तरह के होती है,, लेकिन सबसे सरल एवं सहज व्यायाम है टहलना या सैर। सुबह की सैर निरापद होने के साथ हर एक के लिए संभव एवं सहज है। इससे उत्तम स्वास्थ एवं दीर्घजीवन का आनंद उठाया जा सकता है।
सामान्यतया सैर प्रातः काल किये जाने का प्रचलन है। प्रातः सैर के वक्त तेज चल से चलना चाहिए जिससे शरीर के सारे अंग -प्रत्यंग सक्रिय -सतेज हो उठे। सुबह सवेरे का वातावरण स्वच्छ एवं दिव्य होता है। इस समय ब्रह्मांडीय किरणों की अधिकता होती है। अतः आधा - एक घंटा के लिए सैर पर निकलना न केवल शारीरिक दृष्टिकोण से वर्ण मानसिक परिप्रेक्ष्य से भी बहुत लाभदायक होता है। शायद इसी वजह से वैदिक वाङ्मय से लेकर प्राचीन शास्त्रों में भी प्रातः भ्रमण की बड़ी महिमा -महत्ता बताई गयी है।
आधुनिक जीवन जितना गतिशील है उतना ही जटिल हो गया है। जटिलता जीवन में तनाव जन्य परेशानियों व कठिनाइयों को जन्म देती है, जबकि प्राकृतिक सहचर्य से उपजी सरलता, शाँति, स्फूर्ति व सक्रियता का स्रोत। है अतः सरल, सहज व स्वास्थ जीवन के लिए भी प्रातः की सैर अनिवार्य जान पड़ती है।
पैदल घूमना दीर्घायु होनी का सफलतम सूत्र है इस सत्य को प्रत्येक चिकित्सा पद्धति ने दीर्घजीवी जीवन के लिए पदभ्रमण रूपी एक सूत्र कार्यक्रम अनोखा एवं निराला है। वैज्ञानिक के दल ने दीर्घायु जीवन जीने वाली की जीवनचर्या पर विशेष ध्यान -अन्वेषण किया। पूर्व सोवियत संघ के काकेशस, अल्खाजिया व यकुनिया क्षेत्रों में दीर्घायु व्यक्ति की संख्या आश्चर्यजनक रूप से अधिक है। संसार के सर्वाधिक शतायु व्यक्ति इन्हीं क्षेत्रों में होते है। अतः प्रयोग-परीक्षण हेतु स्नेही व्यक्तियों को चुना गया। इस प्रायोगिक निष्कर्ष से यही स्पष्ट पता चला है की इन व्यक्तियों के जीवन में पद भ्रमण जुड़ा हुआ है। पैदल चलना ही इनकी सेहत का कुँजी है। प्राकृतिक जीवन और पैदल चलने के कारण ही ये निरोगी, स्वास्थ एवं शतायु की सीढ़ी को पार करने में सफल हुए।
जापान के चिकित्साविशेषज्ञों के अनुसार प्रतिदिन दस हजार डग चलने से ८० से अधिक सम जिया जा सकता है। अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की आधुनिक शोध से स्पष्ट होता है की पद भ्रमण से आशान्वित परिमाण पाए गए है। प्रति सप्ताह १२ किलो मित्र अर्थात् डेढ़ किलोमीटर प्रतिदिन की दर से टहलना स्वास्थ में २१ प्रतिशत की बढ़ोतरी करता है २१ एक अन्य सर्वेक्षण से पता चला है की ग्रामीण एवं आदिवासी सदा ही पैदल चलने के आदी होते है, इसीलिए इनका स्वास्थ अपेक्षाकृत अधिक सबल है। ये प्रतिदिन औसतन ६ से १० किलोमीटर चल लेते है।
सुबह या शाम की सैर से शारीरिक रोग एवं मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इससे अन्य कई लाभ है घूमने से माँसपेशियों की सक्रियता बद जाती है। शरीर की ऐच्छिक एवं अनैच्छिक मांसपेशियां जागरूक हो जाती है। इस दौरान सर से लेकर पाँव तक लगभग २०० मांसपेशियां की गति शीलता इतनी अधिक नहीं होती है। सामान्यतया हृदय एक मिनट में बार धड़कता है। लेकिन तेजी से पैदल चलते समय इसकी धड़कन बढ़कर ८० से ऊपर हो जाती है। प्रति धड़कन के साथ हृदय से २५ ग्राम रक्त परिसंचरण होता है। इस प्रकार टहलने से हृदय द्वारा प्रत्येक मिनट में लगभग २५० ग्राम एवं एक घंटे में १५ किलोग्राम रक्त का संचरण हो जाता है। इस वजह से शरीर में रक्त का दौरा तेजी से होता है और पुरे शरीर में शुद्ध रक्त पहुंचने पर फुर्ती एवं तंदुरुस्ती आ जाती है इस क्रम में कोलेस्ट्रॉल और ट्रइंग्लिश राइडान की मात्रा में काफी कमी आने से हृदय रोग की संभावनाएं न्यून हो जाती है। एक लाभप्रद कोलेस्ट्रॉल एच, डी.एल. शरीर में बढ़ता है, जिससे रक्तचाप में कमी आ जाती है और हृदय की पेशियाँ मजबूत होती है शिराओं में संकुचन होने से अशुद्ध रक्त तेजी से निकलता है।
अतः सैर करने से आवश्यक प्राणवायु की प्रचुर मात्रा मिल जाती है। इससे केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र स्वस्थ एवं सतेज रहते है। मस्तिष्क में आन्तरिक आक्सीजन पहुंचने के कारण वह शाँत और शीतल रहता है, जिससे विचार करने की शक्ति बढ़ती है। तनाव, उद्विग्नता तथा चिड़चिड़ेपन की तो यह अचूक औषधि है। शरीर में आक्सीजन आपूर्ति बढ़ती है तथा फेफड़ों का वह भाग जो निष्क्रिय पड़ा रहता है, वह सक्रिय हो जाता है। लाल रक्त कं और होमोग्लोबिन में बढ़ोत्तरी होती है और इससे बढ़ी हुई रोग प्रतिरोधक क्षमता शरीर को नई मजबूती प्रदान करती है।
भोजन की संतुलित मात्रा रखकर यदि एक महीने तीस-चालीस मिनट तक रोज पैदल चला जाए तो अनावश्यक मोटापे में कमी देखी गई है। इससे आधा किलो तक भर घट जाता है। प्रातः भ्रमण से कोशिका स्तर पार भी आक्सीजन की पर्याप्त मात्रा प्रत्येक जैव रासायनिक क्रियाओं को अनुकूल रखती है। कोशिकाओं की टूटन -बिखराव की मरम्मत इससे बराबर होती रहती है। पसीने द्वारा शरीर से विषैले एवं त्याज्य पदार्थों का परित्याग सहज ढंग से होता रहता है। मांसपेशियां रक्त शर्करा की अतिरिक्त मात्रा का सदुपयोग कर लेती है। इस सम्बन्ध में वैज्ञानिक ने एक आश्चर्यजनक तथ्य का उद्घाटन किया है। उनके अनुसार प्रातः भ्रमण करने से इंसुलिन जैसे हरमो का स्राव नियमित एवं नियंत्रित होने लगता है। अतः डॉक्टरों ने यह तक कहा है की मधुमेह जैसे खतरनाक रोगियों के लिए प्रातः घूमना सबसे सरल एवं उपयोगी व्यायाम है। उच्च रक्तचाप के रोगियों को भी इससे लाभ मिलता है।
यह भ्रमण व्यायाम महिलाओं के लिए भी उपयोगी एवं लाभप्रद होता है। चिकित्साविज्ञानियों के एक दल ने कुछ इसी महिलाओं पार प्रयोग किया जो नित्यप्रति अतः सैर करने जाती है। इनके अध्ययन से यह पता चलता है की शारीरिक हारों स्राव में नियंत्रण एवं नियमन हो जाने से अधिकतर महिलाएं स्वस्थ तथा प्रसन्न रहती है। एक किलोमीटर घूमने से १०० कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। जो लोग शारीरिक श्रम नहीं करते उनके शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का सदुपयोग नहीं होता और खासकर महिलाओं में मोटापे की शिकायत हो जाती है। अतः इससे मुक्ति का एकमात्र निदान है -प्रातः या समय सैर करना।
सही मायने में टहलना सबसे सुलभ एवं सरल व्यायाम है अन्य तरह के व्यायाम के लिए भले ही मार्गदर्शन की जरूरत पड़ती है। परन्तु टहलने के साथ तो ऐसा कुछ भी नहीं है। निरोगी एवं स्वस्थ जीवन के लिए हरेक को प्रकृति के सान्निध्य में आना चाहिए और इसके लिए उन्मुक्त उपाय है - सुबह की सैर।
स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास हो सकता है। अतः मन मस्तिष्क को शाँत तथा विचारपद्धति को संतुलित बनाए रखने के लिए प्रातः सैर का कार्यक्रम अनिवार्य रूप से अपनाया जाना चाहिए।