बचपन से ही मिला सदुपयोग का शिक्षण (Kahani)

October 1999

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

विश्वविख्यात वैज्ञानिक आविष्कारक थामसअल्वा एडीसन ने जीवनभर एकनिष्ठ भाव से आविष्कारों में रुचि ली और अपनी समूची तत्परता उसी एक कम में लगायी ग्रामोफोन, टेपरिकार्डर; चलचित्र, कैमरा, बिजली के बल्ब जैसे छोटे-बड़े २५०० आविष्कारों का अपना कीर्तिमान है। दूसरा कोई भी अभी तक इतने प्रकार के इतने महत्वपूर्ण कम नहीं कर सका है। एडीसन बचपन में ही बहरे हो गए थे, लेकिन इसका उन्होंने कभी दुःख नहीं माना। माता-पिता के शिक्षण से स्वावलंबी बने एवं हमेशा अपनी प्राकृतिक कमी को ईश्वरीय वरदान कहते रहे। उनका कहना था कि बेकार कि गप्पबाजी में अपना समय गुजारते हैं। मुझे ऐसी बरबादी का सामना नहीं करना पड़ता, वह समय मैं सोचने और पढ़ने में लगता हूँ। यदि दूसरों कि तरह मेरे भी कान खुले होते, तो इतना न कर पता, जो कर पाया।

एडीसन ने छोटे कामों में भी कही हेठी अनुभव न की। वे हर कम को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर, उसे सही, पूरा और शानदार स्तर का बनाने का प्रयत्न करते थे। रेल के डिब्बों में सब्जी बेचना, अख़बार बेचना, तार बाँटना जैसे अनेक छोटे काम उन्हें अपने आरंभिक जीवन में करने पड़े, पर इसमें कभी हीनता का अनुभव नहीं किया। हर काम को इज्जत का मानना और हर अवसर के महत्वपूर्ण सदुपयोग का शिक्षण, उन्हें उनके माता-पिता द्वारा बचपन से ही मिला था।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles