संज्ञा और संवत् कि दृष्टि से भी यह वर्ष हममें से प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में दोबारा नहीं आएगा। इन दिनों नवरात्र साधना करने वालों में एकाध प्रतिशत लोग साल बाद नंदन संवत्सर में फिर साधना कर सकेंगे। किन्हीं के जीवन वह अवसर आ भी गया तो युगसंधि महापुरश्चरण जैसे अवसर कहा होंगे। साठ वर्ष बाद कि दुनिया सर्वथा भिन्न ही होगी।