भावी युग का नेतृत्व साधकों को ही करना होगा, इस संदेश के विस्तार के साथ साधनावर्ष की अनूठी संक्रान्तियों का युगानुकूल प्रस्तुतीकरण भी इस विशेषांक में होगा। निश्चित ही प्रखर प्रचण्ड तप−साधना के साथ अभूतपूर्व क्राँति परिवर्तनों से भरी इस वेला में इस अंक का स्वाध्याय सभी को वह लाभ प्रदान करेगा, जिसकी कि महाकाल को अपेक्षा है। इस विशेषांक को अधिकाधिक व्यक्तियों तक पहुँचाने -पढ़ाने का पुण्य कितना होगा, यह लिखने की नहीं स्वयं समझने-आत्मसात् करने का प्रसंग है।