स्वर्ग और नरक मनुष्य के आगे पीछे रहते हैं और सदा साथ-साथ चलते है। आगे स्वर्ग है, पीछे नरक। जब मनुष्य आगे की ओर अर्थात् उच्चता, महानता और श्रेष्ठता के प्रकाश-पूर्ण सत्पथ पर चलता है तो उसका हर एक कदम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करता हुआ पड़ता है। इसके विपरीत जब मनुष्य पीठ पीछे की ओर अर्थात् नीचता के, पाप के, मलीनता के निकृष्ट अंधकार के गर्त में फिसलता है तो उसका हर एक कदम भयंकर नरक में धँसता जाता है।