संतोष (Kahani)

January 1999

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हाथ पुष्प के समीप पहुँचा तो उसने पूछा- इस सघन समीपता का उद्देश्य क्या है बन्धु?

उत्तर देते हुए हाथ बोला-तुम्हारे ऊपर उपकार करने आया हूँ देवता के समीप तुम्हें पहुँचाने का विचार है।

पुष्प उदास हो गया। उसने कहा- देवता तक तो सौभाग्यशाली फूल पहुँच ही जाते है। इन निरीह तितलियों और मधुमक्खियों के काम ही आता रहता और जहाँ जन्मा वही खाद बनकर गल जाता तो मेरे लिए अधिक संतोष की बात होगी।


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