सतोगुणी आहार से साधक अपने अन्नमय कोश को जाग्रत कर सकते है।
* नियमित प्राणायाम की प्रक्रिया संपादन करने से प्राणमय कोश जाग्रत होता है।
* मन को एकाग्र-तल्लीन कर चेतन मन को शाँति देने वाला कोई भी उपाय मनोमय कोश को जाग्रत करता है।
* ध्यान व जप की गहराइयों में विज्ञानमय कोशिकीय संसिद्धिं होती है।
गायत्री तत्व के साक्षात्कार -आनंदमय कोश के जागरण की परम तत्व की उपलब्धि की स्थिति है।
-परमपूज्य गुरुदेव