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January 1999

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आकस्मिक विपत्ति का सिर पर अड़ना मनुष्य के लिए सचमुच बड़ा दुखदायी हैं इससे उसकी बड़ी हानि होती है, किन्तु उस विपत्ति की हानि से अनेकों गुनी हानि करने वाला एक और कारण है, वह है विपत्ति में घबराहट। विपरीत कहीं जाने वाली मूल घटना चाहे वह है विपत्ति में घबराहट। विपत्ति कही जाने वाली मूल घटना चाहे वह कैसी ही बड़ी क्यों न हो, किसी का अत्यधिक अनिष्ट नहीं कर सकती, परन्तु विपत्ति की घबराहट ऐसी दुष्टा पिशाचिनी है कि वह जिसके पीछे पड़ती है। उसके गले से खून की प्यासी जोंक की तरह चिपक जाती है और जब तक उस मनुष्य को पूर्णतया निःसत्य नहीं कर देती, तक तक उसका पीछा नहीं छोड़ती।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

कष्ट और कठिनाई का व्यवधान उन्नति की दिशा में मौजूद रहता हैं ऐसी एक भी सफलता नहीं है, जा कठिनाइयों से संघर्ष किये बिना ही प्राप्त हो जाती है। जीवन के महत्वपूर्ण मार्ग विघ्न-बाधाओं से सदा ही भरे रहते है। यदि परमात्मा ने सफलता का कठिनाई के साथ गठबंधन न किया होता, उसे सर्वसुलभ बना दिया होता तो मनुष्य जाति का वह सबसे बड़ा दुर्भाग्य हो। तब सरलता से मिली हुई सफलता बिलकुल नीरस एवं उपेक्षणीय हो जातीं जो वस्तु जितनी कठिनता से जितना खर्च करके मिलती है, वह उतनी ही आनंददायक होती है।

-पं. श्री राम शर्मा आचार्य


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